कोर्स 02 - गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें
प्रांरभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है?
आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
प्रांरभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें।
ReplyDeleteसभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है | कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं | कुछ नहीं सीख पाते हैं | बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार सिखाने की कोशिश करते हैं |
Deleteएक कक्षा के सभी बच्चो में सीखने की क्षमता एक जैसी नही होती है अतः बच्चो की बौद्धिक क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है।
Deleteकक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है, आयु का भी अन्तर रहता है, उन्हें उनके स्तर के अनुसार सिखाया जाता है । प्रत्येक बालक की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है चाहे आयु समान हो
Deleteसभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा
Deleteअलग अलग उम्र और दिमाग के बच्चों में सीखने की प्रकृति भी अलग होती है, कुछ बच्चे 1 बार समझाने पर भी समझ जाते है और कुछ बार बार समझाने पर भी नही समझ पाते। बच्चों को समग्र शिक्षा देने के लिये सभी बच्चों की दक्षता परिक्षण किया जाना चाहिये।
Deleteसभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है पर जो बच्चे सही से समझ नही पाते उनके लिये अतिरिक्त समय देकर उन्हे सिखाने का प्रयास किया जा रहा है।
DeleteSabhi bacchon ko ek sath ek hi hi Jaisi Shiksha Pradhan Nahin Karni chahie Kyunki ki Sabhi ki ki sikhane ki kshamta Alag Alag hoti hai unki chamta ke anusar nai nai taknik ka prayog karte hue unhen Shiksha pradan karne chahie jisse sabhi bacchon ka sarvangin Vikas ho sake
DeleteNice video
Deleteबच्चों में सीखने की दर एवं रुचि की विभिन्नता के कारण ,उनकी गतिविधियों में विभिन्नता पाई जाती है।
DeleteBaccho ko un ki vividhta ke sath padhaya jana chaiye
Deleteअलग अलग उम्र और दिमाग के बच्चों में सीखने की प्रकृति भी अलग होती है, कुछ बच्चे 1 बार समझाने पर भी समझ जाते है और कुछ बार बार समझाने पर भी नही समझ पाते। बच्चों को समग्र शिक्षा देने के लिये सभी बच्चों की दक्षता परिक्षण किया जाना चाहिये
Deleteक्योंकि प्रारंभिक कक्षाओं में छात्र -छात्राए अलग -अलग परिवेश से आते हैं!उनके रहन -सहन खान -पान, पारिवारिक शिक्षा, संस्कृति आदि में भिन्नता होती!इन्ही सब कारणों से उनके सीखने की क्षमता में भी भिन्नता पाई जाती है!इसलिए यह आवश्यक है कि छात्रों की क्षमता के अनुसार शिक्षण योजना बनाकर, लक्ष्य निर्माण किया जाए!
Deleteसभी बच्चा सीखने की नैसर्गिक क्षमता और कौशल को लेकर जन्म लेता है ।बच्चों की सीखने की क्षमता का आकलन करके उसके अनुरूप शिक्षण कार्य करते हैं ।
Deleteप्रत्येक बच्चे की अपनी कार्य करने की सीमाएं तथा क्षमता है यदि बच्चों की क्षमताओं को ध्यान रखकर उन्हें पढ़ाया जाए या कोई विषय पर बात की जाए तो भी अच्छी तरह समझते हैं
Deleteबच्चों को अलग-अलग समझ के बच्चों के साथ सिखाया जाता है और उनका आकलन भी करते रहते हैं
Deleteबच्चों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए | प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है, इसलिए उन्हें उसी के अनुसार शिक्षण कराना चाहिए |
Deleteसभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है | कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं | कुछ नहीं सीख पाते हैं | बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार सिखाने की कोशिश करतेहै।
DeleteSABHI BACHCHON KO EK SATH EK HI JAISI SHIKSHA IMPART KI JATI HAI LEKIN PRATYEK BACHCHE KI SIKHNE KI GATI ALAG ALAG HOTI HAI. ESKE KAI KARN HAI.1BACHCHE KI AYU 2SHIKSHAN VIDHI 3BODHHIK STAR 4 KAI BACHCHO KO EK HI BAR ME SAMAJH AA JATA HAI KAI BACHCHO KO KAI BAR ME SAMAJH AATA HAI
Deleteउन्हें
DeleteSabhi bachchon ka adhigam ek samaan nahi hota balkendrit siksha mein parteyak bachcha kis gati se seekh rahe hain pata chalta rahta hai sath parteyak bachchon ke seekhne ke astar ko bhi sudhara ja sakta hai balkendrit siksha bachchon keliye ruchikar awam upyogi rahega
Deleteएक कक्षा के सभी बच्चो में सीखने की क्षमता एक जैसी नही होती है अतः बच्चो की बौद्धिक क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है।
Deleteबच्चो को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए। प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग अलग हिती हैं इसलिए उन्हें उसी के अनुसार शिक्षण कराना चाहिए।
सभी बच्चों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है, आयु का भी अन्तर रहता है, उन्हें उनके स्तर के अनुसार सिखाया जाता है । प्रत्येक बालक की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है चाहे आयु समान
Delete
DeleteUnknown12 October 2021 at 04:01
सभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा
Deleteबच्चों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए | प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है, इसलिए उन्हें उसी के अनुसार शिक्षण कराना चाहिए
प्रारंभिक कक्षा में छात्र-छात्राएं अलग-अलग परिवेश से आते हैं उनके रहन सहन खानपान पारिवारिक शिक्षा संस्कृति में भिन्नता होती है इन्हीं सब कारणों से पुणे में सीखने की क्षमता भी भिन्न होती है कुछ बच्चे तीर बुद्धि के होते हैं जो जल्दी सीख लेते हैं कुछ बच्चे बार बार बताने पर भी नहीं सीख पाते है इसलिए यह आवश्यक है कि छात्रों की क्षमता के अनुसार शिक्षण योजना बनाकर लक्ष्य निर्माण किया जाए
DeleteYah kaksha ke sabhi bacchon ke sikhane ki chamta ek Jaisi nahin Hoti hai bacchon Ko baudhik kshamta ke anusar vishay vastu prastut ki jaati hai
Delete1. BACCHO KO UNKI SIKHANE KI SAMATA KE ANUSAR SHIKSHAN KARY KARWAYA JA RAHA HAI. 2. PRATEK BACCHE KI SIKHANE KI SAMATA KA DHYAN BHI RAKHA JATA HAI.
ReplyDeleteबच्चो को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग _अलग होती है उसी के अनुसार शिक्षण कराना चाहिए
Deleteबच्चे गतिविधियों के माध्यम से ज्यादा अच्छा सीखते हैं
DeleteNice
DeleteBacho ko unki vividhta k aadhar pr pdaya jana chahiye
ReplyDeleteबच्चो को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए। प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग अलग हिती हैं इसलिए उन्हें उसी के अनुसार शिक्षण कराना चाहिए।
ReplyDeleteजब बच्चे कक्षा में प्रवेश लेते हैं उस समय उनका आर्थिक स्तर,पारिवारिक स्तर और बौद्धिक स्तर भिन्न भिन्न होता है जिसके कारण अधिगम स्तर भी भिन्न भिन्न होता है। मेरे विचार से बच्चो का आकलन करके उनके अधिगम स्तर के अनुसार दक्षिता आधारित शिक्षण किया जाए।
Deleteसभी बच्चों को एक पढ़ाया जता है।कुछ बच्चे जलदी सीख जाते हैं कुच्छ नही सीख पाते हैं बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार पढ़ाया जाता है
Deleteसभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है पर जो बच्चे सही से समझ नही पाते उनके लिये अतिरिक्त समय देकर उन्हे सिखाने का प्रयास किया जा रहा है।
Deleteसभी बच्चों के सीखने की क्षमता अलग अलग होती है. इसलिए बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही सिखाने की तकनीक का उपयोग किया जाय.
Deleteराम नरेश पी.एस. खानपुर बुजुर्ग म ऊ
बच्चों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कार्य करवाना चाहिए हर बच्चे की योग्यता अलग-अलग होती है
ReplyDeleteआयसीटी च्या साह्याने अध्ययन आणि अध्यापन प्रक्रिया कल्पवृक्षाप्रमाणे अमलात आणता येते.
Deleteवर्गात दाखवता न येणाऱ्या बाबीआयसीटी च्या साह्याने दाखवता येतात उदा.सूर्य आकाशगंगा ज्वालामुखी समुद्रातील प्राणी इत्यादी
बच्चों में समझ विकसित करने के लिए एवं एवं दक्षता आधारित शिक्षण के लिए मातृभाषा का होना बहुत आवश्यक है मातृभाषा का ज्ञान बच्चे को समझने और उसकी समझ को विकसित करने एवं धारणाओं को समझाने में बहुत सहायक है प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग अलग हो सकती है पर एक क्षेत्र विशेष की भाषा की मातृभाषा मैं अगर शिक्षण करवाया जाए तो वह जल्दी अवधारणाओं को समझ सकता है
ReplyDeleteबच्चों में समझ विकसित करने के लिए एवं एवं दक्षता आधारित शिक्षण के लिए मातृभाषा का होना बहुत आवश्यक है मातृभाषा का ज्ञान बच्चे को समझने और उसकी समझ को विकसित करने एवं धारणाओं को समझाने में बहुत सहायक है प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग अलग हो सकती है पर एक क्षेत्र विशेष की भाषा की मातृभाषा मैं अगर शिक्षण करवाया जाए तो वह जल्दी अवधारणाओं को समझ सकता है।
ReplyDeleteसाथ ही स्थानीय वातावरण और परिवेश को देखते हुए उदाहरण देकर समझाना चाहिए जिससे बच्चे जल्दी सीखते हैं।
बच्चो को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए। प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग अलग हिती हैं इसलिए उन्हें उसी के अनुसार
Deleteबच्चों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए | प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है, इसलिए उन्हें उसी के अनुसार शिक्षण कराना चाहिए |
ReplyDeleteBaccho ko unki vividhta k anusar pdhaya jana chahiye
Deleteबच्चो को उनकी दक्षता के अनुरूप सीखने की स्वतंत्रता प्रदान करनी चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति के प्रयोग से बच्चों को उनकी विभिन्नताओं व क्षमताओं के अनुरूप शिक्षा देने से अधिगम प्रभावी होगा।
ReplyDeleteHar bachhe ki adhigam Shakti alag alag hoti hai isliye unhe unki adhigam Shakti ke anusar adhyan karwana chahiye
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में बच्चों को एक जैसी शिक्षा प्रदान की जाती है, जो कि उनको सिखाने का सही या उचित तरीका नही है।इसके लिए सी बी ई ही उचित है।
ReplyDeleteशोभा कँवर, बून्दी, राजस्थान
कक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है, आयु का भी अन्तर रहता है, उन्हें उनके स्तर के अनुसार सिखाया जाता है । प्रत्येक बालक की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है चाहे आयु समान हो
Deleteप्रत्येक बच्चे को उसके अधिगम क्षमता के अनुसार ही सिखाना चाहिए। कक्षा के कमजोर स्तर के बच्चों के लिए अलग से शिक्षण योजना तैयार करके उसके अनुरूप ही शिक्षण कार्य करवाना चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चों को उनकी विषेश ताओ के अनुसार शिक्षण करवा ना चाहिए
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा की और बढ़ाने के लिए बच्चों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए। बच्चों को समझने और उसकी समझ को विकसित करने एवं को समझाने में उनकी अपनी मातृभाषा का होना बहुत आवश्याक है।जिससे बच्चों में क्षेत्र विशेष की भाषा होना चाहिए
ReplyDeleteHar bacche m sikhne ki samta alag alag hoti h isliy hme sbko dhyan m rakhkr alg vidhiyo dwara siksan krwana chahiy
ReplyDeleteबच्चों को उनके सीखने की गति के आधार पर पढ़ाना चाहिए जिससे वे दक्षताएं प्राप्त कर सकें।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक बच्चे को उसकी सीखने की क्षमता और आवश्यकता के अनुसार ही सिखाना चाहिए इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए की बच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में ही हो जिससे उन्हें एक अन्य नई भाषा सीखने का दबाव महसूस ना हो तथा उनका अधिगम और सरल हो जाए
ReplyDeleteविद्यार्थी केन्दित शिक्षा प्रत्येक बच्चे को अलग पहचानती है अतः बच्चे की क्षमता और विशेषता को पहचानकर बेहतर बनायेगी
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित पद्धति के द्वारा हम बच्चों की बौद्धिक व शारीरिक क्षमता तथा उनके सीखने के स्तर के अनुसार शिक्षा दी जाती है साथ ही बालक अपनी भावनाएं प्रकट करने के लिए भी स्वतंत्र होता है
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा लक्ष्य को सफल बनाने के लिये यह आवश्यक है कि बच्चों की योग्यता व उनकी आवश्यकता के अनुसार ही उन्हे शिक्षा दी जाये व शिक्षक को बच्चों के साथ भावात्मक रूप से जुडना चाहिये ताकि बच्चे बिना किसी संकोच व झिझक व दबाब डर के अधिगम कर सके व विधायी
ReplyDeleteको केन्द्र मे रखकर पढाने की विधियां अपनाये
प्रशिक्षण बहुत उपयोगी, रोचक और ज्ञान बढाने वाला है!
ReplyDeleteबच्चों को उनके सीखने की गति के आधार पर ही पढ़ाया जानि चाहिए जिससे वे दक्षताएं प्राप्त कर सकें
ReplyDeleteबच्चो को अच्छा अनुभव मिलेगा
ReplyDeleteसभी बच्चो को एक ही विषयवस्तु एक साथ पढाई जाती है जिसमे कुछ बच्चे जल्दी सीखते है कुछ देरी से तथा कुछ सीख ही नहीं पाते है|कक्षा मे बच्चो की संख्या निर्धारित मानदंड से कहीं अधिक होने के कारण प्रत्येक बच्चे पर ध्यान न देकर पाठ्यक्रम पुरा करने कि कोशिश की जाती है ट्रायबल क्षेत्र टीचिंग् स्टाफ कि कमी अक्षर रहती है
ReplyDeleteगतिविधी सही है।
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित पद्धति के द्वारा बच्चों की शिक्षण अधिगम क्षमता के अनुसार शिक्षण कार्य करवाया जाता है एक कक्षा के सभी विद्यार्थियों की अधिगम क्षमता भिन्न भिन्न होती है, अतः बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार ही विभिन्न गतिविधियों से शिक्षण कार्य करवाया जाता है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार शिक्षण करवाना सीखने के परिणाम बेहतर मिलेंगे
ReplyDeleteपारिवारिक वातावरण के अनुसार हर बच्चे की अधिगम क्षमताएं अलग अलग होती हैं।मेरे विचार से शिक्षक द्वारा सभी बच्चों को समान शिक्षण योजना के अनुसार अधिगम नहीं करवाना चाहिए ।
ReplyDeleteप्रारम्भिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें ।
ReplyDeleteसभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है पर जो बच्चे सही से समझ नही पाते उनके लिये अतिरिक्त समय देकर उन्हे सिखाने का प्रयास किया जा रहा है।
Deleteप्रारंभिक वर्षो में सामान्यतः सभी बच्चो को समान ही पढ़ाया जाता है जो उचित नही है ।
ReplyDeleteमेरे विचार में सभी की खेल खेल में अपनी क्षमता के अनुसार सीखने के अवसर प्रदान करने चाहिये।
शिक्षक को मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए।
कुछ बच्चे जल्दी सीखते है और कुछ धीरे उन सभी की आवश्यकता को ध्यान में रख के योजना बनानी चाहिए।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चो की पहचान करके उनको भी सभी के साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए।
लेगिंग या अन्य किसी भी भेद भाव रहित शिक्षा का वातावरण बनाने की आवश्यकता है।
Baccho ko unki adhigam Shakti ke anusar adhyan karwana chahiye
ReplyDeleteBaccho ko unki sikhane ki kshamta ke anusar shikshan kaary karwaya jana chahiye
ReplyDeleteबच्चो को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए। प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग अलग हिती हैं इसलिए उन्हें उसी के अनुसार शिक्षण कराना चाहिए
ReplyDeletegood information for us.its helps us
ReplyDeleteसभी बच्चो को एक साथ पढाने पर कुछ जल्दी सीखते हैं कुछ धीरे, इसलिए सभी को स्तर अनुसार पढ़ाने चाहिये
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से सभी बच्चे अपनी आवायकता अनुसार सीख पायेंगे, उनका अधिगम बेहतर होगा, कक्षा में एक समान शिक्षण पद्धति से सभी बच्चे नहीं सीख पायेंगे क्यूंकि वे विभिन्न पृष्ठभूमि, विभिन्न मानसिक स्तर, विभिन्न आयु,विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक के होते हैं। मैने अनुभव किया है सभी बच्चे कक्षा में समान शिक्षण से बेहतर नहीं सीख पाते।
ReplyDeleteएक कक्षा के सभी बच्चो में सीखने की क्षमता एक जैसी नही होती है अतः बच्चो की बौद्धिक क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है
ReplyDeleteबच्चों की उम्र के थोड़े से अनुभव से उनकी सीखने की क्षमता में अन्तर आ जाता है , बच्चों की समझ और अनुभव के साथ एक जैसा ही शिक्षण करवाना चाहिए कम समझ वाले बच्चों को अधिक समय देकर उनका आधार मजबूत करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों की उम्र के थोड़े से अनुभव से उनकी सीखने की क्षमता में अंतर आ जाता है कम समझ वाले बच्चों को अधिक समय देकर उनका आधार मजबूत करना चाहिए
ReplyDeleteविद्यार्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार ही पढाया जाता है। यहीं उनके सर्वांगीण विकास के लिए उपयुक्त है।
ReplyDeleteकक्षा के किसी बच्चे का स्तर किसी कौशल या दक्षता में न्यून हो सकता है, सभी में नहीं।इसलिए सभी बच्चों को सामूहिक गतिविधियां करवाते हुए जिन क्षेत्रों में और अभ्यास की आवश्यकता है। उन पर अतिरिक्त ध्यान देते हुए गतिविधियां करवाई जाती है।
ReplyDelete👆ऐसा करने से बच्चे जिनमे वे कुछ कम कर पाते हैं , समझ कम बनी है, उनमे वे कुछ ही समय मे कक्षा स्तर पर आ जाएंगे साथ ही कक्षा स्तर की गतिविधियों को करते रहने से वे पिछड़ते नहीं है।
ReplyDeleteजैसे उदाहरण के लिए कक्षा 2 का बच्चा है। वह गणित में उसे जोड़ना - घटाना ,अमानक इकाइयों से मापन, पैटर्न को कर पाने में सक्षम है लेकिन संख्या पहचाने और उससे सम्बन्धित गतिविधियों में और अभ्यास देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है तो उसे सामुहिक गतिविधियों में सम्मिलित करते हुए व्यक्तिगत अभ्यास उसके स्वयं के स्तर का दिया जाता है।
दक्षता आधारित शिक्षा लक्ष्य को सफल बनाने के लिये यह आवश्यक है कि बच्चों की योग्यता व उनकी आवश्यकता के अनुसार ही उन्हे शिक्षा दी जाये व शिक्षक को बच्चों के साथ भावात्मक रूप से जुडना चाहिये ताकि बच्चे बिना किसी संकोच व झिझक व दबाब डर के अधिगम कर सके व विधायी
Deleteको केन्द्र मे रखकर पढाने की विधियां अपनाये
कक्षा के सभी बच्चो में सीखने की क्षमता एक जैसी नही होती है अतः बच्चो की बौद्धिक क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से सभी बच्चे अपनी आवायकता अनुसार सीख पायेंगे, उनका अधिगम बेहतर होगा, कक्षा में एक समान शिक्षण पद्धति से सभी बच्चे नहीं सीख पायेंगे क्यूंकि वे विभिन्न पृष्ठभूमि, विभिन्न मानसिक स्तर, विभिन्न आयु,विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक के होते हैं। मैने अनुभव किया है सभी बच्चे कक्षा में समान शिक्षण से बेहतर नहीं सीख पाते।
ReplyDeleteएक क्लास में10 बच्चे है 5 लेवल के है उन को पढ़ाने के लिए एक्स्ट्रा मेटेरियल दिया जाना चाहिये ,केवल एक पाठ्य पुस्तक उस पर थोप दी जाती है जबकि बच्चा उस लेवल का है ही नही
ReplyDeleteबच्चो को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए। बच्चे का सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteIt is very good App for students to learning new things and new technologies. Fantastic platform for digital education system.
ReplyDeleteसभी बच्चों के सीखने की क्षमता अलग अलग होती है। बच्चों के स्तर के अनुसार शिक्षण और मूल्यांकन की आवश्यकता है जो कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत हो।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी सीखने की क्षमता के आधार पर पढ़ाया जाना चाहिए जिससे दूरगामी परिणाम का प्रतिफल सकरतमक आये
ReplyDeleteWe have teach children to there abilities
ReplyDeleteकक्षा के सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते है तो कुछ बच्चे देर से सीखते से फिर भी बच्चों को एक समान शिक्षण करवाया जाता है इससे जो बच्चे कमजोर है वोक कक्षा के अन्य बच्चों की अपेक्षा पिछड़ जाते है इसलिए यदि बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार अलग अलग शिक्षण करवाया जाए तो सभी बच्चे जल्दी सीख जाएंगे
ReplyDeleteबच्चों को उनके सीखने के स्तर और क्षमता के अनुरूप सिखाना चाहिए
ReplyDeleteबच्चो को उनकी क्षमता और उनके स्तर के अनुसार ही सीखाना चाहिये तथा बच्चो के साथ उनके समस्त परिवेश का ध्यान रखना चाहिए
ReplyDeleteबच्चो का मनोविज्ञान तो यही कहता है कि बच्चो को उनकी रूचि के अनुसार पढ़ाया जाए मेरा मानना यह है कि कक्षा 3 तक पाठ्यपुस्तक की आवश्यकता ही ना हो तभी हम बुनियादी आधारभूत शिक्षा बच्चो को दे पायेंगे वरना तो सारा ध्यान पाठ्यक्रम पूरा करवाने पर ही केन्द्रित रहेगा सबसे बड़ी बाधा यह भी है की प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षको का अभाव है दो शिक्षको को ही सारा शिक्षण कार्य कार्यालय कार्य विद्यालय कार्यालय साफ़ सफाई चपरासी क्लर्क के कार्य करने पड़ते है ऐसे में अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अपेक्षा रखना शिक्षको के साथ नाइंसाफी है
ReplyDeleteएकदम सही बात है। कक्षा3 तक की उम्र बच्चों की वह आधारशिला होती है जिस पर सम्पूर्ण जीवन रूपी महल निर्मित होता है। अगर यही आधारशिला कमजोर होगी तो बच्चों का भविष्य क्या होगा, यह हम सब को पता ही है।
Deleteसभी बच्चों की सीखने की गति समान नहीं होती लेकिन एक ही शिक्षण सामग्री एक साथ पढ़ाई जाती है। तथा साथ ही परीक्षण भी एक साथ किया जाता है लेकिन परिणाम एक जैसा नहीं आता । क्योंकि हर बच्चा अलग-अलग पृष्ठभूमि से निकल कर आता है।
ReplyDeleteसभी बच्चों में अलग अलग सीखने की क्षमता होती है। परंतु सभी बच्चों से एक नियत समय में एक नियत पाठ्यक्रम सीखने की अपेक्षा करना एक अन्याय ही है। दक्षता या क्षमता से सीखने ही एक उचित समाधान है।
ReplyDeleteबच्चों को कक्षा में एक साथ पढ़ाया जाता है जबकि उनका बौद्धिक स्तर अलग अलग होता है जिस कारण कुछ बच्चे तो एक बार में ही बताने पर सीख जाते हैं लेकिन कुछ बार बार बताने पर भी नहीं सीख पाते हैं।
ReplyDeleteप्रत्येक कक्षा में विन विन पृष्ठभूमि से बच्चे आए रहते हैं जिनकी बुद्धि लब्धि भिन्न-भिन्न होती है प्रत्येक बच्चों की सीखने की गति अलग-अलग होती है शिक्षक को आवश्यकता है कि वह प्रत्येक बच्चे पर ध्यान केंद्रित कर उन्हें अलग-अलग शिक्षण विधियों के प्रयोग से उनके ज्ञान में संवर्धन किया जाए जिससे कि कक्षा के प्रत्येक छात्र का ज्ञान कौशल में विकास होगा और इस प्रकार कक्षा के प्रत्येक छात्र निर्धारित छात्रों अधिगम को प्राप्त करेंगे जिससे कि सरकार द्वारा चलाई जा रही बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को बल मिलेगा और मिशन प्रेरणा के लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है
ReplyDeleteवास्तव में विद्यालयों में बच्चों को सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बहुत कम ध्यान दिया जाता है कि वो किस प्रकार सीखते है ? यदि हम बच्चे की वस्तुस्थिति को समझे तो शायद बेहतर कर सकते है इसमें कई स्तर पर सुधार की आवश्यकता है I सीखने में विविधता को ध्यान में रखकर कार्य किया जाय तो शायद बेहतर हो सकता है I
ReplyDeleteसभी कक्षाओं में भिन्न-भिन्न बौद्धिक क्षमता के अनुसार शिक्षण कार्य किया
ReplyDeleteजा रहा है। प्रत्येक बच्चा अपनी अपनी क्षमता के अनुसार सीखता है इस समय कक्षा में कहानी कविता वा खेल खेल में छोटे बच्चो के साथ शिक्षण कार्य किया जाता है। प्रोजेक्टर दवारा विभिन्न विडियो को भी बच्चों को दिखाया जाता है जिससे बच्चे जल्दी सीखते हैं
मातृभाषा के सहारे प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को उनके उस स्थान के परिवेश से जोड़ते हैं बातचीत करें तथा उन्हें अधिक से अधिक बोलने के लिए प्रेरित करें शिक्षक को 20% तथा बच्चे 80% सक्रिय रहना चाहिए इससे शिक्षक और शिक्षार्थी के मध्य सहज अंतर संबंध स्थापित हो जाता है और बच्चा मुखर होकर अत्यधिक सक्रिय हो जाता है शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति से बच्चे लर्निंग बाय डूइंग पद्धति को अपनाकर सीखने की ओर अग्रसर होते हैं शिक्षक को योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता होती है
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनका सामाजिक ,आर्थिक स्तर और घर के परिवेश में भी काफी अंतर होता है। बच्चों के सीखने के स्तर को ध्यान में रखें बिना हम सभी बच्चों को एक जैसी शिक्षा देते हैं ।जिससे कि सभी बच्चे एक साथ सीख नहीं पाते हैं और यह सिलसिला हमेशा चलते रहता है।
ReplyDeleteSbhi bachho ko alag alag chamtaaye hotee h so sbhi students ke anusar hi pdhaanen ki radneetee taiyar krnee pdtee h kisi bachhe ko alag sa mahsus nhi krana chahiye
ReplyDeleteNot all children in the classroom have the same learning ability, there is a difference of age, they are taught according to their level. Every child's learning ability is different even if they are of the same age.
ReplyDeleteऊषा खींची : कक्षा में छात्रों के सीखने की क्षमता समान नहीं होती है लेकिन शिक्षण कराते समय सभी को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस क्षमता से सीख रहा है का ध्यान रखते हुये सीखने के स्तर को सुधारा जाता है। बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी तथा शिक्षण रुचिकर एवं उपयोगी होगा।
ReplyDeleteसभी बच्चों का सीखने का स्तर अलग अलग होता है और उन्हें उनके स्तर के अनुसार ही सिखाना चाहिए
ReplyDeleteबच्चे का अलग अलग पृष्ठभूमि, अलग अलग उम्र का होने के कारण उनका मानसिक स्तर तथा उनकी सीखने की क्षमता भी एक दूसरे से भिन्न होती है प्रत्येक बच्चा अलग है व उसकी क्षमता भी।अभी तक हम सभी को एक ही लेवल पर ही पढा रहे थे चाहे वह समझे या न समझे बस उसे आना चाहिए.... दूसरे शब्दों मे रटन विद्या... अब जाकर हमने सही दिशा मे कदम उठाये है... समझ मजबूत बनानी है...
ReplyDeleteA brilliant idea towards the wholesome developement of the children
ReplyDeleteOur government provided a wide platform for primary education but every child is not same so we needed different strategies to teach a child. Every child is special but their need are different . Evaluation is common for all students. New education policy is a great step taken by the government which included all students with different abilities and ofcourse basic education(early childhood education) is a back bone of our education system.
ReplyDeleteSudha Singh
अलग अलग स्तर के बच्चों को अलग अलग कार्य दिया जाता है
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा
ReplyDeleteसभी बच्चे भिन्न-भिन्न पारिवारिक परिवेश से आते जिससे उनके सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है।शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा द्वारा शिक्षण को रूचिकर ,प्रभावी बनाया जा सकता है।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा पद्धति से बच्चों को खेल-खेल में उसके सर्वांगीण विकास कराया जा सकता है उनके सीखने की गति के अनुसार शिक्षण कार्य कराया जाएगा जा सकता है
ReplyDeleteसभी बच्चों का अधिगम स्तर अलग-अलग होता है अतः प्रयास यह होता है कि बच्चे की स्थिति का आकलन करके बच्चे की क्षमता अनुसार शिक्षण कार्य किया जाए ।
ReplyDeleteClass m Sabhi bacche alag alag quality or alag alag samajh ka star liye hote h unko parivarik Mahol b alag hota h...isiye sbhi ko unki samar k star k hisab se pdaya jana chiye
ReplyDeleteसभी बच्चों को क्लास में एक ही विधि से पढ़ाने से सभी बच्चे समान रूप से नहीं सीख सकते.प्रत्येक बच्चे की पारिवारिक पृष्ठभूमि अलग अलग होती है. जब student educated faimily से आता है तो उसके सीखने क्षमता तीब्र होती है.
ReplyDeleteअतः आवश्यक है कि बच्चो को उनकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाया जाय
Our government provided a wide platform for primary education but every child is not same so we needed different strategies to teach a child. Every child is special but their need are different . Evaluation is common for all students. New education policy is a great step taken by the government which included all students with different abilities and ofcourse basic education(early childhood education) is a back bone of our education system.
ReplyDeleteयह विद्यार्थियों को शिक्षण कार्य में व्यक्तिगत रूप से भाग लेने, उसको प्रोत्साहित करने, स्वयं करने के लिए वचनबद्ध होने, आत्मविश्वास विकसित करने, सफलता के लिए योग्यता बढ़ाने, सीखने के प्रति एक नज़रिया विकसित करने आदि के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने का वातावरण प्रदान करता है।
ReplyDeleteRADHA RANI (IHT)
COMPOSITE CHAUDIYAI
BLOCK GANJDUNDWARA
DISTRICT KASGANJ
Shivram Gaur AT
ReplyDeleteकक्षा में सभी विद्यार्थी एक साथ पढ़ते हैंपरंतु प्रत्येक छात्र की सीखने की क्षमताअलग-अलग होती है.जो छात्रबहुत धीमी गति से सीखते हैंउनके लिएअलग सेउपचारात्मक शिक्षण की आवश्यकता होती हैशिक्षाविद्यार्थी केंद्रित होनी चाहिएबच्चे कोअपनेव्यक्तिगत विचारकठिनाइयांऔरक्रियाकलापकी अभिव्यक्तिकरने की स्वतंत्रता होनी चाहिएतभी बच्चाअच्छे ढंग से सीख सकता है और उसका विकास हो सकता है
प्रत्येक छात्र अपनी रूचि अपनी बौद्धिक क्षमता अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर सीखता है
ReplyDeleteevery single student is unique n different, so they need to be treated individually. i t is very important for them for their overall growth that should be pampered according as per their needs.
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती उनके सीखने की गति में अंतर होता उन्हे उनकी सीखने की क्षमता और गति के अनुसार कक्षा में अलग समूह बनाकर पढ़ाया जाए
ReplyDeleteECCE वर्तमान में बहुत ही उपयोगी पहल है इसके माध्यम से बच्चा श्रम करके सीख रहा है श्रम करके सिखा गया ज्ञान स्थाई होता है गतिविधियां भी बहुत ही उपयोगी हैं
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था या प्रीप्राइमरी व प्राइमरी शिक्षण में गतिविधि आधारित शिक्षण ही प्रभावी है। परन्तु यह सिखाने की इकाई अध्यापक ही है । शिक्षक को प्रत्येक बच्चे की मानसिक और बौद्विक क्षमता को समझकर कहानीयों और अन्य गतिविधियो द्वारा उनके अवचेतन मन में कल्पनाओं के बीज बोने होगें । जो जीवनभर उनकी उत्सुकता को बनाये रखेगें ।
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है, लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा
ReplyDeleteसभी बच्चो का अगर नीव अच्छी पकड़ के साथ बना दी जाए तो स्कूल में पहुंचने के बाद बालक की समझ और बढ़ेगी।सभी बच्चो का अधिगम इस्तर एक करने की कोशिश करनी चाहिए जो इससे संभव है।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा को बढ़ाने के लिए बच्चों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए। बच्चों को समझने और उसकी समझ को विकसित करने एवं उनको समझाने में उनकी अपनी मातृभाषा का होना बहुत आवश्याक है।जिससे बच्चों में क्षेत्र विशेष की भाषा होना चाहिए।
ReplyDeleteबाल केन्द्रित शिक्षा पद्धति के प्रयोग से बच्चे स्थाई रूप से सीखते हैं। इस पद्धति में बच्चों को उनकी रुचि को ध्यान में रखकर शिक्षण योजना का निर्माण किया जाता है। इस शिक्षा में गतिविधियों, खेलो,टी0एल0एम0, आइ0सी0टी0 आदि का प्रयोग करके शिक्षा दी जाती है।
ReplyDeleteI.C.T.का प्रयोग करके हम बच्चों को अच्छी तरह से सिखा तो सकते हैं परन्तु इसके अधिक प्रयोग से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं| बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकर एवं उपयोगी रहेगा|
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा को बढ़ाने के लिए बच्चों को स्थाई रूप से सिखाना चाहिए।
ReplyDeleteबाल केन्द्रित शिक्षा पद्धति के प्रयोग से बच्चे स्थाई रूप से सीखते हैं। इस पद्धति में बच्चों को उनकी रुचि को ध्यान में रखकर शिक्षण योजना का निर्माण किया जाता है। इस शिक्षा में गतिविधियों, खेलो,टी0एल0एम0, आइ0सी0टी0 आदि का प्रयोग करके शिक्षा दी जाती है।
I.C.T.का प्रयोग करके हम बच्चों को अच्छी तरह से सिखा तो सकते हैं परन्तु इसके अधिक प्रयोग से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
प्रत्येक कक्षा में अलग अलग पृष्ठभूमि से बच्चे आते हैं जिनकी बुद्धि लब्धि अलग अलग होती है प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग-अलग होती है शिक्षक को आवश्यकता है कि वह प्रत्येक बच्चे पर ध्यान केंद्रित कर उन्हें अलग-अलग शिक्षण विधियों के प्रयोग से उनके ज्ञान में संवर्धन किया जाए जिससे कि कक्षा के प्रत्येक छात्र का ज्ञान कौशल में विकास होगा और इस प्रकार कक्षा के प्रत्येक छात्र निर्धारित अधिगम को प्राप्त करेगा। जिससे कि सरकार द्वारा चलाई जा रही बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को बल मिलेगा और मिशन प्रेरणा के लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है
ReplyDeleteकरनपाल सिंह स अ
उ प्रा विद्यालय शेरनी
ब्लॉक राया
जिला मथुरा
सीखने -सिखाने में बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करने से बच्चे आसानी से सीख लेते है सभी बच्चे अलग -अलग प्रष्ठभूमि से एक कक्षा में प्रवेश करते है इसलिए सभी बच्चों के स्तर के लिए शिक्षण सामग्री को तैयार करने की आवश्यक है ।
ReplyDeleteबिल्कुल सही, प्रत्येक छात्र की अधिगम क्षमता कई कारणों से भिन्न भिन्न होती है; जिसका विशेष ध्यान शिक्षक को रखना चाहिए और शिक्षक रखता भी है।
ReplyDeleteजब हम पढ़ाते हैं तो इस बात पर जोर देते हैं कि प्रत्येक बच्चे की समझ विकसित हो सके।
प्रत्येक बच्चे को पूरा समय देने का प्रयास करते हैं बावजूद इसके की कक्षा में 40 बच्चे अमूमन उपस्थित रहते हैं।
कई बार तो एक से अधिक कक्षाओं को भी देखते हैं। और पूरी कोशिश करते हैं कि कुछ भी अछूता न रहे। कम सही पर सफलता भी हासिल होती है।
बस यही आशा है कि शिक्षकों, जिनपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है; उन्हें भी कार्य करने के लिए स्वतंत्र और दबाव रहित वातावरण मिले, उनका कार्य सिर्फ शिक्षण ही हो और शिक्षक छात्र अनुपात पर भी विशेष ध्यान दिया जाय।
हमारे स्कूलों में विभिन्न पृष्ठभूमि एवं परिस्थितियों के बच्चे आते हैं उनके सीखने क्षमता भी अलग-अलग होती है खान-पान का असर भी अलग अलग होता है रहन-सहन का स्तर भी अलग अलग होता है इससे उनके शिक्षण पर भी प्रभाव पड़ता है हमें ध्यान रखकर शिक्षण योजना बनानी चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है | कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं | कुछ नहीं सीख पाते हैं | बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार सिखाने की कोशिश करते हैं |
ReplyDeleteमनसा कुमारी राठौर शिक्षा मित्र
बाल केंद्रित शिक्षा वह धुरी है जिस पर बच्चों का सम्पूर्ण जीवन निर्भर होता है, अतः आज आवश्यकता है इसमें परिवर्तन की,उम्मीद है कि नई शिक्षा नीति इसके परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
ReplyDeleteएक कक्षा के सभी बच्चों में सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है। अतः बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है।
ReplyDeleteबच्चों की अधिगम क्षमता के अनुसार ही उन्हें शिक्षण प्रदान करना चाहिये। जिससे उन्हें विषय की गहनता का ज्ञान कराया जा सके।
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ReplyDeleteबच्चों को उनके रुचियों, प्रवृत्तियों, तथा क्षमताओं के आधार पर विभिन्न शिक्षण विधियों का प्रयोग करके शिक्षण प्रदान किया जा रहा है। सभी बच्चों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
ReplyDeleteबच्चों की एक निश्चित परीक्षण सारणी है। बच्चों को शिक्षण प्रदान करते समय उनके विविधता का ध्यान रखा जाता है।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के लाभ - रुचिपूर्ण सीखना, संज्ञानात्मक कौशल में सुविधा, सार्थक ज्ञान, सहयोगी कौशल का विकास, सामाजिक विकास आदि।
शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के सीमाएँ - मुख्य विषय से विचलित हो सकते हैं, अनुशासनहीनता उत्पन्न हो सकती है, शोर वातावरण, निरंतरता के सिद्धांत का उल्लंघन आदि।
सभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है। लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है। बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं। इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा।
ReplyDeleteमधु कुमारी (स. अ.)
प्रा विद्यालय सेंहाँ
ब्लॉक गोवर्धन
जिला मथुरा
दक्षता आधारित शिक्षण पद्यती से बालक का समग्र विकास होगा। कक्षा कक्ष व कक्षा से बाहर बालक प्रसन्नचित होकर विद्यालय में सभी गतिविधियों में भाग लेगा।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी कौशल क्षमता के अनुसार पढ़ाया जाना चाहिए।
ReplyDeleteChild centred education is the need of the hour if we truly want to make our students grade competent and want to see their learning as behavioral changes....
ReplyDeleteEarly childhood care and education plays a vital role by making learning a joyful experience through interactive games and multisensory approach
अच्छा तो यह है कि एक ही स्तर के बच्चों के समूह बना कर शिक्षण किया जाय ,किन्तु इस
ReplyDeleteके लिए पर्याप्त शिक्षक होने चाहिए।
इ०प्र०अ कंचन कुमार त्रिवेदी उ०प्रा०वि०मित्रसेनपुर उसरी (संविलयन)
वि०ख०रसूलाबाद का०दे०
Every child is special but their need are different . Evaluation is common for all students. New education policy is a great step taken by the government which included all students with different abilities and ofcourse basic education(early childhood education) is a back bone of our education system.
ReplyDeleteSabhi bacchon ko ek sath ek hi hi Jaisi Shiksha Pradhan Nahin Karni chahie Kyunki ki Sabhi ki ki sikhane ki kshamta Alag Alag hoti hai unki chamta ke anusar nai nai taknik ka prayog karte hue unhen Shiksha pradan karne chahie jisse sabhi bacchon ka sarvangin Vikas ho sake
Delete
ReplyDeleteSabhi bacchon ko ek sath ek hi hi Jaisi Shiksha Pradhan Nahin Karni chahie Kyunki ki Sabhi ki ki sikhane ki kshamta Alag Alag hoti hai unki chamta ke anusar nai nai taknik ka prayog karte hue unhen Shiksha pradan karne chahie jisse sabhi bacchon ka sarvangin Vikas ho sake.
कक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है। कोई बच्चा जल्दी सीखता है। कोई बच्चा देर सीखता है।मैं उनको सीखने की क्षमता के अनुसार सीखाती हूंं।
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की क्षमता समान nhi होती,शारीरिक,मानसिक ,parivesiy v parivarik स्थिति भी सीखने के लिए जिम्मेदार होती है।कक्षा में सभी बच्चों को सामूहिक रूप से शिक्षा दिया जाता है,प्रत्येक बच्चे का परीक्षण कर उसकी क्षमता v स्तर ke अनुरूप बाल केंद्रित शिक्षण कार्य होना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चों को किसी बिंदु या विषय को एक साथ सिखाते हैं परंतु बच्चों के सीखने की गति हर किसी की अलग-अलग होती है कुछ बच्चे एक बार समझाने पर ही सीख जाते हैं परंतु कुछ बच्चे किसी भी बिंदु को बार-बार समझाने पर भी नहीं सीख पाते बच्चों के मानसिक स्तर के अनुसार शिक्षण कार्य कराया जाता है, कम अधिगम स्तर वाले बच्चों को अलग-अलग गतिविधि के माध्यम से सिखाने का पूर्ण प्रयास किया जाता है
ReplyDeleteविद्यालय में प्रवेश लेने वाले बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते है ।उनके रहन-सहन,पारिवारिक और सामाजिक स्थित भिन्न-भिन्न होती है इसलिए आवश्यक है कि बच्चो की क्षमता का आकलन करके शिक्षण अधिगम सामग्री की सहायता से गतिविधियों पर आधारित शिक्षण योजना बनाकर लक्ष्य का निर्धारण किया जाये ।
ReplyDeleteHar bacchha apni visheshtaon k sath aage badhta hai or apni gati se seekhta hai isliye hard bacche ki need to samajhte huye use sikhana chahiye
ReplyDeleteBachche ki ruchi evam kshamta ko dhyan me rakhkar shiksha di jati ha.balkendrit shiksha ruchikar evam utsahvardhak ha bachche sakhiyo rahte ha gyan ko thoda nhi jata gyan ka srijan kiya jata ha..rachnatmak srijnatmak shakti ka vikas hota ha.gyanendriyo ka upyog dwara samajh viksit ki jati ha.
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है, आयु का भी अन्तर रहता है, उन्हें उनके स्तर के अनुसार सिखाया जाता है । प्रत्येक बालक की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है चाहे आयु समान हो।
ReplyDeleteविद्यालय में प्रवेश लेने वाले बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते है ।उनके रहन-सहन,पारिवारिक और सामाजिक स्थित भिन्न-भिन्न होती है इसलिए आवश्यक है कि बच्चो की क्षमता का आकलन करके शिक्षण अधिगम सामग्री की सहायता से गतिविधियों पर आधारित शिक्षण योजना बनाकर लक्ष्य का निर्धारण किया जाये ।
सभी छात्रों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती परंतु वह एक ही कक्षा में पढ़ाए जाते हैं कक्षा में अध्यापक विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाते हैं जो कि बाल केंद्रित होती है उसके बावजूद भिन्न-भिन्न परिवेश से आए बच्चों के लिए सीखना संभव नहीं हो पाता क्योंकि उन सब की बौद्धिक क्षमता अलग-अलग होती है।
ReplyDeleteBacho ko unke sikhne ki gati ke adhar pr pdhani chahiye.
ReplyDeleteकक्षा में बच्चों के सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं ।क्योकि उन्के सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है ।कोई जल्दी सीखता ही कोई देर में ।अलग-अलग तरीके अपनाकर,मातृभाषा का प्रयोग करके और प्रकरण को रोचक ढंग से पढ़ा कर उनकी दक्षता को सीखा सकते हैं ।
ReplyDeleteBacho ki Ksmta ko dhyan m rakh kr adhyapan karwana chahiy jisse algalg trh k baccho ko shi tarike se pdhaya ja ske
ReplyDeleteकक्षा में बच्चों के सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं ।क्योकि उन्के सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती है ।कोई जल्दी सीखता ही कोई देर में ।अलग-अलग तरीके अपनाकर,मातृभाषा का प्रयोग करके और प्रकरण को रोचक ढंग से पढ़ा कर उनकी दक्षता को सीखा सकते हैं
ReplyDeleteBachho ko unki capacity aur learning level ke according hi padhana chahiye
ReplyDeleteहम सभी जानते हैं कि प्रत्येक बच्चे का बौद्धिक स्तर अलग-अलग होता है अतः सभी एक समय में एक समान नहीं सीख पाते। हम बच्चों को ग्रुप में बिठाए व प्रत्येक ग्रुप में 40% तेज़ बौद्धिक स्तर वाले बच्चे को बिठाए , उन्हें प्रोजेक्ट कार्य दें ,उनकी रूचि और क्षमता को ध्यान में रखते हुए सिखायें, विभिन्न गतिविधियां शामिल करें भावनात्मक रूप से उनकेे साथ जुड़े।
ReplyDeleteसभी बच्चों में सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती अतः बच्चों की बौद्धिक क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है।
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है। उन्हें उसी क्षमता के अनुसार ही गतिविधि आधारित शिक्षण कराना चाहिए।
ReplyDeleteBacchon ko unki learning capacity ke accordingly hi shiksha deni chahiye
ReplyDeleteईसीसीई की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि हम बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार और उनके स्तर के अनुसार भौतिक वातावरण स्कूल टीचर और संसाधनों की उपलब्धता किस हद तक सुनिश्चित करा पाते हैं ।
ReplyDeleteHar bachha special hota hai .har bachhe ka sikhne ka tarika alag hota hai.isliye unhe unki ruchi aur samta ke anusar deal karna chahiye. Play way method sabse best hota hai.
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ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा ।
सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान तो किया जा रहा है परन्तु बच्चों की सीखने की विविधता और क्षमता के अनुसार न तो परीक्षण सारणी है न ही इस बात पर कोई ज्यादा ध्यान दिया गया। शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति से सभी बच्चों कोउनकी क्षमता के अनुसार शिक्षण कार्य को करने में आसानी होगी।
ReplyDeleteएक कक्षा के सभी बच्चों में सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती है अतः बच्चों की बौद्धिक क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है बच्चों को उनकी अधिगम क्षमता के आधार पर ही शिक्षण कराया जाना चाहिए प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है इसलिए उन्हें उसी के अनुसार शिक्षण देना चाहिए।
ReplyDeleteKuch bachche dhimi gati se seekhte h un par alag se dhyan dekr unhe mukhya dhara m laane kaa kaarya vidhyarthi kendrit shiksha paddhati dwara hi sambhav h
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है जिससे उसके सीखने के स्तर को सुधारा जा सकता है तथा बच्चों का खेल खेल में सर्वांगीण विकास कराया जा सकता है।
ReplyDeleteसभी बच्चे को एकसाथ तथा एकप्रकार से पढाया जाता है परंतु सभी बच्चों की सीखने की गति भिन्न होती है शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा पद्धति से बच्चों के सीखने के स्तर तथा गति में वृद्धि कर सकते हैं. उनकी दक्षता में सुधार किया जा सकता है. लेकिन इसकी भी कुछ सीमाएँ हैं.
ReplyDeleteBacchon ko unke adhigam ke Aadhar per hi shikshan karana chahie
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की प्रक्रिया एक सी नही होती है ।बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है।
ReplyDeletebacho ki prarambhik siksha me hamesa balak kendrit sikshan pranali ka hi prayog uchit hota hai kyoki pratyek balak k seekine k gati apni hoti hai aur asman hoti hai koi jaldi seekh leta hai koi der me.
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की क्षमता एक जैसी नहीं होती उनके सीखने की गति में अंतर होता उन्हे उनकी सीखने की क्षमता और गति के अनुसार कक्षा में अलग समूह बनाकर पढ़ाया जाए क्षमता
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है, लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगा
ReplyDeleteEvery student had its own capacity of learning things So we should teach them accordingly which will help them for their betterment
ReplyDeleteEach student is differ from other on the basis of their familybackground their living coditions so teachers should try to deal accordingly
Deleteसभी बच्चे अपनी संस्कृति, समाज, जाति, परिवेश का प्रतिनिधित्व करते हैं । सबकी मानसिक क्षमता अलग अलग होती है।जिसके कारण उनके आपसी विभिन्नता देखने को मिलती है। सभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है, लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है
ReplyDeleteवर्तमान में शिक्षण अधिगम की संस्कृति में बाल केंद्रित शिक्षा को ही सर्वोपरि माना जा रहा है यह समय बालक की नेचर को ध्यान में रखकर शिक्षा की प्रक्रिया को डिज़ाइन करने का है कुछ शिक्षकों को भी अपनी शिक्षण शैली में परिवर्तन करने की भी आवश्यकता होगी. साथ ही वहां के वातावरण को भी ध्यान में रखना होगा तब शिक्षण और अधिगम प्रभावी होगा
ReplyDeleteप्रारंभ में बच्चे भिन्न भिन्न पारिवारिक परिवेश से आते हैं इसलिए उनकी सीखने की क्षमता भी भिन्न भिन्न होती है इसलिए बच्चों की शिक्षण प्रक्रिया भी बाल केंद्रित होनी चाहिए। प्रत्येक बच्चे के अधिगम स्तर की पहचान करके उसके अनुरूप ही उसको सिखाने की प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता है जिससे कोई बच्चा पिछड़े नहीं।
ReplyDeleteसभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है |कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं | कुछ नहीं सीख पाते हैं | बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार सिखाने की कोशिश करते हैं | thanks
ReplyDeleteविभिन्न आयु, रूचि,एवं क्षमता के आधार पर शिक्षा दिया जाता है लेकिन कतिपय कारणों से बच्चों क़े सीखने में अन्तर बना रह जाता है ।जबकि बच्चों को अतिरिक्त समय दिया जाता है।
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी एवं शिक्षण पद्धति बेहतर होगी।
ReplyDeleteसभी बच्चों को समावेशी शिक्षा प्रदान करते समय प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है की बच्चों की सीखने की दर अलग अलग होती है और वे अलग अलग तरीके से सीख पाते है
ReplyDeleteबच्चों की सीखने की गति पर उम्र के अंतराल का बहुत प्रभाव पड़ता है इसलिए किंडरगार्टन अथवा प्ले स्कूल की महत्त्वता बहुत बढ़ जाती है प्रायः सरकारी विद्यालयों में आने वाले बच्चे आंगनवाड़ी केंद्र पर एक वर्ष देकर सीधे कक्षा 1 में प्रवेश पाते हैं जिससे उनके दक्षता आधारित शिक्षण पर उम्र का प्रभाव साफ दिखता है।
ReplyDeleteप्रारम्भिक शिक्षा में बच्चे विभिन्न आवश्यकताओं,समाजिक आर्थिक स्तर के होते हैं
ReplyDeleteशिक्षण विधि को सभी स्तरों के बालको को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए
दक्षता आधारिक अधिगम से बच्चों में उनके सीखने के स्तर को बढ़ाया जा सकता है ।
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न माध्यमों से सीखते हैं ।
इससे सभी बच्चे एक दूसरे से भिन्न होने के बाद भी अपनी शिक्षा के बुनियादी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता प्राप्त कर सकते हैं
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा के माध्यम से शिक्षक प्रत्येक विद्यार्थी के अधिगम स्तर को जान सकेंगे और विभिन्न गतिविधियों और शिक्षण विधाओं के माध्यम से उसके अधिगम स्तर में सुधार ला सकेंगे
ReplyDeleteवर्तमान में बालकेन्द्रित शिक्षण पद्धति को बेहतर माना गया हैं क्योंकि एक कक्षा कक्ष में अलग अलग प्रतिभा के छात्र छात्राएं शामिल होते हैं । एक शिक्षक को सभी छात्रों को एक साथ मिलकर उसकी योग्यता के अनुसार कार्य देना चाहिए जिससे वो उस कार्य को करने में नीरसता महसूस न करे और आनंद के साथ कार्य करे।
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की पद्धति समान नहीं होती है लेकिन शिक्षण कराते समय सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति के अनेक लाभ हैं इससे प्रत्येक छात्र किस गति से सीख रहा है इसका पता चल जाता है और उसके सीखने के स्तर को भी सुधारा जा सकता है एवं अधिक से अधिक उसके ज्ञान को बढ़ाने में सहायता मिलती है इससे बच्चा पीछड़ता भी नहीं है वह कितना सीख रहा है इसका भी शिक्षक को पता रहता है अधिक अधिक से अधिक बाल केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने से छात्र को सीखने में सहायता मिलेगी शिक्षण रुचिकरएवं उपयोगी रहेगावर्तमान में शिक्षण अधिगम की संस्कृति में बाल केंद्रित शिक्षा को ही सर्वोपरि माना जा रहा है यह समय बालक की नेचर को ध्यान में रखकर शिक्षा की प्रक्रिया को डिज़ाइन करने का है कुछ शिक्षकों को भी अपनी शिक्षण शैली में परिवर्तन करने की भी आवश्यकता होगी. साथ ही वहां के वातावरण को भी ध्यान में रखना होगा तब शिक्षण और अधिगम प्रभावी होगा
ReplyDeleteआरंभिक स्तर पर के सभी बच्चो में सीखने की क्षमता एक जैसी नही होती है अतः बच्चो की बौद्धिक क्षमता के अनुसार विषय वस्तु प्रस्तुत की जाती है।
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteशिक्षा की प्रक्रिया में शिक्षक तथा बालक दोनों के बीच परस्पर आदान-प्रदान होता है। शिक्षक अपने व्यक्तित्व तथा ज्ञान के विभिन्न अंगो के प्रभाव से बालक के व्यवहार में परिवर्तन तथा सुधार करता है जिससे बालक सम्यक विकास की ओर अग्रसर होता है। इस तरह शिक्षक विकास की ओर अग्रसर होता है।
ReplyDeleteप्राचीन काल और आज की शिक्षण पद्धति में बहुत अन्तर है। Child centered education को जानने से पहले हमें शिक्षा की अवधारणा को जानना इसलिए आवश्यक है क्योंकि बिना इसे जाने हम शिक्षा के स्वरूप को समझ पायेंगे।
सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाया जाता है जिसमेें कुछ बच्चे जल्द सीख जाते हैं और कुछ बच्चे बहुत समझाने पर भी नहीं सीख पाते हैं।अत: बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार खेल खेल मे एफ एल एन के माध्यम से अधिगम कराया जा सकता है।
ReplyDeleteसभी बच्चो की सीखने की क्षमता समान नही होती इसलिए हर बच्चो को उनकी क्षमता और आवश्यकता के अनुसार शिक्षा प्रदान करना चाहिए। जिससे शिक्षण बालकेंद्रित हो सके।
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