कोर्स 02: गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें
प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें। क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण सारणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें।
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें
DeleteA learner-centered approach has advantages such as fostering active engagement, personalized learning, and critical thinking. However, limitations may include potential inconsistency in student outcomes and the need for effective guidance to ensure a balanced educational experience.
DeleteStudents will take interest in learning.
DeleteGood
ReplyDeleteShiksha shiksharthi Kendrit v gatividhi based honi chahiy
ReplyDeleteएक अध्यापक का करतवय है कि अलग _अलग परिवेश से आने वाले बच्चो की जानकारी रख कर उसी के अनुसार शिक्षा परदान करे|
ReplyDeleteVERY NICE
ReplyDeleteTeacher Centerd process dovloping the discipline peer group teaching and creating the confidence among the students
ReplyDeleteAnupa Pandey
Har bachha alag hota h isiliye har bachhe ko alag alag treatment dena chahiye
ReplyDeleteEvery child has different ability and different backgrounds, different ages
ReplyDeleteक्षक केंद्रित प्रक्रिया अनुशासन सहकर्मी समूह शिक्षण को विकसित करती है और छात्रों के बीच आत्मविश्वास पैदा करती है
ReplyDeleteअनुपा पांडे
Student centerd sikchan hone se student ka sahi vikas hoga
ReplyDeleteसीखने में विविधता को ध्यान में रखना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के मानसिक क्षमता का आंकलन करते हुए और उनके परिवेश को समझते हुए उनकी शिक्षण व्यवस्था की जानी चाहिए।
ReplyDeleteCommon learning for all children.
ReplyDeletePratek bachche uske star ke hisab se shiksha deni chahiye
ReplyDeleteस्कूल में बच्चे अलग -अलग परिवेश से आते हैं अध्यापक को सभी बच्चों की जानकारी रखकर शिक्षा प्रदान करें। हर बच्चे की सीखने की दक्षता भिन्न -भिन्न होती है और कुछ बच्चे जल्दी सीख लेते हैं और कुछ देर से सीख पाते हैं।
ReplyDeleteBachcho kendrit
ReplyDeleteबच्चों के मानसिक क्षमता का आंकलन करते हुए और उनके परिवेश को समझते हुए उनकी शिक्षण व्यवस्था की जानी चाहिए। सीखने में विविधता को ध्यान में रखना चाहिए।
ReplyDeleteBachcho ko navachar ka prayog karke shiksha deni chahiye.
ReplyDeleteBabita Negi24 February 2024 at 22:38
ReplyDeleteएक शिक्षक का कर्तव्य है कि अलग-अलग परिवेश से आने वाले बच्चों की जानकारी रखें और उसी के अनुसार शिक्षा प्रदान करें
प्रारंभिक वर्षों में सभी बच्चों के लिए यद्यपि स्कूली शिक्षा में समान शिक्षण कक्षा वार विषय वार पाठ्यपुस्तक पर आधारित निर्धारित होता है। परंतु सभी बच्चों में सीखने की क्षमताएं अलग-अलग होती हैं सभी बच्चों की सीखने की गति सामान नहीं होती है। कोई बच्चा तीव्र गति से सीख लेता है तो कुछ बच्चे संबोधों को धीमी गति से सीख पाते हैं। कुछ बच्चे तो बहुत गहनता से सीखाने के बावजूद बहुत पिछड़ जाते हैं। कुछ बच्चों की घरों की पारिवारिक स्थिति आर्थिक ,सामाजिक स्थिति में बहुत विषमताएं होती हैं। कुछ परिवारों के बच्चे तो प्रथम पीढ़ी के शिक्षार्थी होते हैं उनके परिवार में माता-पिता अथवा कोई अन्य बड़ा पढ़ा लिखा नहीं होता है। अतः मै बच्चों को उनके सीखने की गति की विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति को प्रयोग में लाता हूं। जिसमें कमजोर शैक्षिक स्तर के बच्चों के शैक्षिक उन्नयन के लिए मैं उन्हें अलग से सिखाता हूं।
ReplyDeleteVinod Prasad GMPS Dhalwala T.G. Uttarakhand.
Sabhi bacche alag hote hai unke according he hame unhe treat karna chahiye aur haa sabhi baccho ko saman shikshan pradaan kia jata hai
ReplyDeleteबच्चों को सिखाने में मदद के लिए अभिभावकों का भी योगदान होता है एवं अभिभावकों को शिक्षक का सिखाने की प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए।अभिभावकों को अपनी जिम्मेदारी को भी समझना चाहिए
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