कोर्स 03: गतिविधि 3: अपने विचार साझा करें
क्या आप यह मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है? यदि हाँ, तो आप कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेंगे? अपने विचार साझा करें।
क्या आप यह मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है? यदि हाँ, तो आप कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेंगे? अपने विचार साझा करें।
बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को समझना : बच्चे कैसे सीखते है?
ReplyDeleteअपनी पसंद की गतिविधियां एवं कर के सीखते हैं
DeleteEvery child has his own special quality how to learn.
DeleteBachche dekh kr aur kar k sikhate hain..... ye unkey liye bahut hi ruchi kr hota hai.... iss se wah jaldi sikhte hain....
DeleteChildren learn by doing.
DeleteYes all children learning ability is different. We should encourage
DeleteTheir actions, learning ability.
हाँ प्रत्येक बच्चा अपनी क्षमता के अनुसार अलग-अलग तरीको से जल्दी और अच्छा सीखता है
Deleteबच्चे की रुचि के अनुसार सीखता है
DeleteGood
ReplyDeleteBachho ko vividhtapurn v activity aadharit shikshan dekar
ReplyDeleteA Teacher should create such type of environment so that every student take interest in teaching learning process.
ReplyDeleteBacchon ko unki samajh ke anusar sikhaya jaaye Khel ke tarike se bacche jaldi sikhate Hain
Deleteबच्चों की दक्षताओं को समझकर उसके उनकी दक्षताओं के अनुसार शिक्षित करना
ReplyDeleteGood
DeleteListen carefully what student says and response according to the need and learning level of student. It means respond every student in different way according to his/her learning level.
ReplyDeleteHar baccha ek method se nahin sikhata bahut sare bacche aise hote hain Jin per alag method use kiye jaate Hain Jaise Khel ke dwara kisi gatividhi ke dwara card ke dwara aadi
ReplyDeleteBacho ko "activities" karana jishe wa sikhe
ReplyDeleteMusical chair
Dance
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletebacho ko apene apene grade ke anusar sikya jata ha jo bache khel vidhi se bache jaldi sikte hai
ReplyDeleteBachhe ka level assessment krke janege phir plan krege
ReplyDeleteBachhe ki Ruchi or awaskta ke anusar bidhi apnayi jayegi
ReplyDeletebacho ko apene apene grade ke anusar sikya jata ha jo bache khel vidhi se bache jaldi sikte hai
DeleteEvery child is a unique creation of God. Teacher has to felicitate environment in such a way so that inherent qualities of child gets growth and development
ReplyDeleteBachcho ko unki samajh ke anusar
ReplyDeleteKhel vidhi se sikhaya jata h
Ok
ReplyDeleteबच्चों की दक्षताओं को समझकर उसके उनकी दक्षताओं के अनुसार शिक्षित कर
ReplyDeleteबच्चों की दक्षताओं को समझकर उसके उनकी दक्षताओं के अनुसार शिक्षित कर
Deleteअलग अलग शिक्षण विधियों का प्रयोग करेंगे।
ReplyDeleteEvery child has his own special quality how to learn
ReplyDeleteEvery child has different quality so teach every child by unique way.
ReplyDeleteHaa har ek baccha alag hota hai aur unke sikhne ka tarika bhi alag hota hai.
ReplyDeleteHam phle koi bhi topic unhe apne trh se samjhayege fir har ek bacche ko mauka dege us topic ko apne trh se samjhe huaie tarike se present krne ka
Is trh se har baccha apni trh se sikh payega
Yes learning capabilities of every child vary. If a child understood with video aid then accordingly learning should be provided, if games and stories make them learn or by touring them it should be provided.
ReplyDeletePratyek bachhe ka seekhne ka ster alag hota hai to her bachhe ke ster ke anusaran hi dikhane ka prayason karenge.
ReplyDeleteBy providing suitable environment and guide him according to his learning activities.
ReplyDeleteआवश्यक गतिविधि कराकर।
ReplyDeleteEvery child have their own uniqueness. We should also give freedom to express their thought and teach them with taking examples from surrounding or from daily life
ReplyDeleteSuitable environment,freedom to express their thoughts is very important for every child
ReplyDeleteकक्षा में प्रत्येक बच्चे की रुचि और उनकी पसंद के अनुसार शिक्षण कार्य करेंगे।
ReplyDeleteबच्चों की दक्षताओं को समझकर उसके उनकी दक्षताओं के अनुसार शिक्षित कर।
ReplyDeleteBachcho ki daksha aur ruchi ke anusar sikhaie.
ReplyDeletePratyek bachho ke shikhane ka tarika alag alag hota hai
ReplyDeleteबच्चों की रुचि और सिखाने की क्षमता के अनुसार अलग-अलग तरीके व गतिविधि करायेंगे
ReplyDeleteहां, कक्षा में आने वाला प्रत्येक बच्चा अलग होता है और उसके सीखने की क्षमताएं, सीखने की गति और कौशल भी अलग-अलग होते हैं। हमें कक्षा में बच्चों को सीखने की गति के अनुसार उन्हें सीखाने का प्रयास करना चाहिए। कक्षा में बच्चों के सीखने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं। कुछ बच्चे विषय वस्तु /संबोधों को शीघ्रता से समझऔर सीख लेते हैं तो कुछ बच्चे सीखने में और समझने में अधिक समय लगते हैं, कुछ बच्चे कक्षा में ऐसे भी होते हैं कि उनके सीखने की गति बहुत ही धीमी होती है ऐसे बच्चों के लिए हमें अलग से व्यक्तिगत शिक्षण के द्वारा सीखने के प्रति फलों को प्राप्त करने के लिए विशेष प्रयास करने होते हैं। बच्चों को हमें विभिन्न गतिविधियों के द्वारा खेल खिलौने के द्वारा नाटक ,कहानियों और कविताओं के द्वारा बच्चों की रुचि वाली विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा उनके शैक्षिक उन्नयन के लिए संलग्न करना होगा।
ReplyDeleteअलग अलग शिक्षण विधियों का प्रयोग करेंगे।
ReplyDeleteहाँ ,प्रत्येक बच्चा अलग होता है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है। इसलिए अध्यापक को पूरी कक्षा के लिए नहीं बल्कि व्यक्तिगतबच्चों के लिए गतिविधियों की योजना बनानी चाहिए।
ReplyDeleteTo provide them that environment and favourable conditions according to their capabilities
ReplyDeleteव्यक्तिगत तथा आवश्यक वातावरण प्रदान करने से बच्चे बेहतर vi सीख सकते हैं।
ReplyDeleteGood knowledge
ReplyDeleteBacchon ki Dakshataon ko samajh kar unki dakshataon ke anusar alag alag shikshan vidhiyon ka prayog Karen ge
ReplyDeleteप्राथमिक कक्षाओं में हर बच्चे की अलग-अलग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षण रणनीतियों को विविध और अनुकूलनशील बनाना आवश्यक है। हर बच्चे की सीखने की क्षमता, शैली, और गति भिन्न होती है। यहाँ विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण विधियाँ और दृष्टिकोण दिए गए हैं:
ReplyDelete#1. **विभिन्न शिक्षण विधियाँ अपनाना**
#1.1. **विजुअल (दृश्य) शिक्षण**
- **चित्र, ग्राफ, और चार्ट**: शिक्षण सामग्री को चित्रों, ग्राफ, और चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत करें।
- **वीडियो और एनिमेशन**: शिक्षा को रुचिकर बनाने के लिए वीडियो और एनिमेशन का उपयोग करें।
# 1.2. **ऑडिटरी (श्रवण) शिक्षण**
- **कहानियाँ और कविताएँ**: कहानी सुनाना और कविताएँ पढ़ाना।
- **ऑडियो बुक्स**: महत्वपूर्ण पाठ्य सामग्री को ऑडियो बुक्स के माध्यम से प्रस्तुत करना।
# 1.3. **काइनेस्टेटिक (क्रियात्मक) शिक्षण**
- **हैंड्स-ऑन गतिविधियाँ**: प्रयोग, मॉडल बनाना, और अन्य हैंड्स-ऑन गतिविधियाँ।
- **शारीरिक गतिविधियाँ**: खेल और गतिविधियों के माध्यम से शिक्षा को समझाना।
# 2. **व्यक्तिगत और समूह शिक्षा**
# 2.1. **व्यक्तिगत ध्यान**
- **व्यक्तिगत शिक्षा योजना (IEP)**: प्रत्येक विद्यार्थी के लिए व्यक्तिगत शिक्षा योजना बनाना।
- **रेमेडियल क्लासेज**: जिन विद्यार्थियों को अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है, उनके लिए रेमेडियल क्लासेज आयोजित करना।
# 2.2. **समूह आधारित शिक्षा**
- **स्मॉल ग्रुप्स**: विद्यार्थियों को छोटे समूहों में बांटना ताकि वे समूह गतिविधियों और चर्चाओं के माध्यम से सीख सकें।
- **पीयर ट्यूटरिंग**: विद्यार्थियों को एक-दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित करना।
# 3. **अधिगम के विभिन्न स्तर**
# 3.1. **अधिगम स्तरों के अनुसार पाठ्यक्रम**
- **धीमी गति से सीखने वाले बच्चे**: इन बच्चों के लिए पाठ्यक्रम को सरल और संक्षेप में प्रस्तुत करना।
- **तेजी से सीखने वाले बच्चे**: इन बच्चों के लिए अतिरिक्त सामग्री और चुनौतीपूर्ण कार्य प्रदान करना।
# 3.2. **सतत मूल्यांकन**
- **फॉर्मेटिव असेसमेंट**: नियमित रूप से छोटे-छोटे टेस्ट और गतिविधियों के माध्यम से मूल्यांकन करना।
- **समेकित फीडबैक**: प्रत्येक विद्यार्थी को समेकित फीडबैक देना ताकि वे अपनी प्रगति समझ सकें।
# 4. **प्रौद्योगिकी का उपयोग**
# 4.1. **शिक्षण सॉफ्टवेयर और ऐप्स**
- **इंटरैक्टिव सॉफ्टवेयर**: विभिन्न शैक्षिक सॉफ्टवेयर और ऐप्स का उपयोग करना जो शिक्षा को रोचक बनाते हैं।
- **ऑनलाइन संसाधन**: इंटरनेट पर उपलब्ध शैक्षिक सामग्री का उपयोग करना।
#4.2. **स्मार्ट क्लासरूम**
- **प्रोजेक्टर और स्मार्टबोर्ड**: प्रोजेक्टर और स्मार्टबोर्ड का उपयोग करके शिक्षण सामग्री को आकर्षक और इंटरैक्टिव बनाना।
# 5. **सकारात्मक वातावरण बनाना**
# 5.1. **प्रोत्साहन और सराहना**
- **प्रशंसा और पुरस्कार**: विद्यार्थियों को उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करना और पुरस्कार देना।
- **प्रेरक गतिविधियाँ**: ऐसी गतिविधियाँ आयोजित करना जो विद्यार्थियों को प्रेरित करें।
# 5.2. **सहयोगात्मक वातावरण**
- **समावेशी शिक्षा**: सभी विद्यार्थियों को साथ लेकर चलना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।
- **समस्या समाधान**: विद्यार्थियों के बीच समस्याओं का समाधान मिलकर करना।
# 6. **अभिभावकों की सहभागिता**
# 6.1. **नियमित संपर्क**
- **अभिभावक-शिक्षक बैठकें**: नियमित रूप से अभिभावक-शिक्षक बैठकें आयोजित करना।
- **फीडबैक और सुझाव**: अभिभावकों से नियमित रूप से फीडबैक और सुझाव लेना।
# 6.2. **घरेलू सहारा**
- **घरेलू अध्ययन योजना**: विद्यार्थियों के लिए घर पर अध्ययन की योजना बनाना।
- **संपर्क साधन**: विभिन्न संपर्क साधनों (जैसे ईमेल, व्हाट्सएप) के माध्यम से निरंतर संपर्क बनाए रखना।
# निष्कर्ष
प्राथमिक कक्षाओं में विद्यार्थियों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक विविध और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। विभिन्न शिक्षण विधियाँ, व्यक्तिगत और समूह शिक्षा, अधिगम स्तरों के अनुसार पाठ्यक्रम, प्रौद्योगिकी का उपयोग, सकारात्मक वातावरण, और अभिभावकों की सहभागिता के माध्यम से प्रत्येक विद्यार्थी की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। इससे न केवल विद्यार्थियों का शैक्षणिक प्रदर्शन सुधरेगा बल्कि उनकी समग्र विकास में भी सहायता मिलेगी।
सीखने के अनुकूल परिवेश का सृजन करने के लिए कई तरीके और संसाधन उपयोग किए जा सकते हैं। यह सुनिश्चित करना कि कक्षा का वातावरण विद्यार्थियों के लिए सुरक्षित, प्रोत्साहित करने वाला, और समृद्ध हो, सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और आनंददायक बना सकता है। यहाँ विस्तृत रूप से कुछ प्रमुख तरीके और संसाधन बताए गए हैं:
ReplyDelete### 1. **शारीरिक परिवेश का सृजन**
#### 1.1. **कक्षा की सजावट**
- **शैक्षिक पोस्टर और चार्ट**: दीवारों पर शैक्षिक पोस्टर, चार्ट और इन्फोग्राफिक्स लगाएं जो विषय-वस्तु को दर्शाते हों।
- **विद्यार्थियों के कार्य**: विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट और कला कार्य को प्रदर्शित करें ताकि उन्हें गर्व और प्रोत्साहन मिल सके।
#### 1.2. **फर्नीचर और व्यवस्था**
- **आरामदायक और लचीली बैठने की व्यवस्था**: बैठने की व्यवस्था को लचीला और आरामदायक बनाएं ताकि विद्यार्थी आसानी से समूह में काम कर सकें।
- **क्लासरूम लाइब्रेरी**: कक्षा में एक छोटा पुस्तकालय या पुस्तक कोना बनाएं जिसमें विभिन्न प्रकार की पुस्तकें हों।
### 2. **तकनीकी संसाधन**
#### 2.1. **स्मार्ट क्लासरूम**
- **स्मार्टबोर्ड और प्रोजेक्टर**: स्मार्टबोर्ड और प्रोजेक्टर का उपयोग करें ताकि शिक्षण सामग्री को आकर्षक और इंटरैक्टिव बनाया जा सके।
- **कंप्यूटर और टैबलेट्स**: विद्यार्थियों को कंप्यूटर और टैबलेट्स का उपयोग करने का अवसर दें ताकि वे विभिन्न शैक्षिक सॉफ्टवेयर और ऑनलाइन संसाधनों का लाभ उठा सकें।
#### 2.2. **शैक्षिक ऐप्स और सॉफ्टवेयर**
- **इंटरैक्टिव लर्निंग ऐप्स**: शिक्षण के लिए विभिन्न इंटरैक्टिव ऐप्स और गेम्स का उपयोग करें।
- **वर्चुअल टूर और सिमुलेशन**: विषय-वस्तु को समझाने के लिए वर्चुअल टूर और सिमुलेशन का उपयोग करें।
### 3. **शैक्षिक संसाधन**
#### 3.1. **पाठ्य सामग्री**
- **पाठ्यपुस्तकें और कार्यपुस्तिकाएँ**: उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्यपुस्तकें और कार्यपुस्तिकाएँ प्रदान करें।
- **विविध शिक्षण सामग्री**: विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री जैसे फ्लैशकार्ड्स, मॉडल्स, और मैनिपुलेटिव्स का उपयोग करें।
#### 3.2. **ऑडियो-विजुअल सामग्री**
- **वीडियो और एनिमेशन**: जटिल विषय-वस्तु को समझाने के लिए शैक्षिक वीडियो और एनिमेशन का उपयोग करें।
- **ऑडियो बुक्स और पॉडकास्ट**: श्रवण सीखने वालों के लिए ऑडियो बुक्स और शैक्षिक पॉडकास्ट का उपयोग करें।
### 4. **प्रेरणात्मक वातावरण**
#### 4.1. **प्रोत्साहन और सराहना**
- **प्रशंसा और पुरस्कार**: विद्यार्थियों को उनके प्रयासों और उपलब्धियों के लिए सराहें और पुरस्कार दें।
- **सकारात्मक प्रतिक्रिया**: सकारात्मक प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन के माध्यम से विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ाएं।
#### 4.2. **सहयोग और समर्थन**
- **सहयोगात्मक गतिविधियाँ**: समूह परियोजनाओं और सहयोगात्मक गतिविधियों का आयोजन करें ताकि विद्यार्थी एक-दूसरे से सीख सकें।
- **मित्रवत शिक्षक**: शिक्षकों को मित्रवत और सहयोगात्मक रवैया अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
### 5. **सामाजिक और भावनात्मक संसाधन**
#### 5.1. **समावेशी शिक्षा**
- **समावेशी कक्षा**: सभी विद्यार्थियों को समान अवसर प्रदान करें, चाहे उनकी शारीरिक, मानसिक, या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
- **सेंसिटिविटी ट्रेनिंग**: विद्यार्थियों और शिक्षकों को संवेदनशीलता और सहानुभूति के महत्व के बारे में शिक्षित करें।
#### 5.2. **भावनात्मक समर्थन**
- **काउंसलिंग और गाइडेंस**: विद्यार्थियों के लिए काउंसलिंग और गाइडेंस सेवाएँ प्रदान करें।
- **सकारात्मक माहौल**: एक सकारात्मक और सुरक्षित माहौल बनाएं जहां विद्यार्थी अपने विचार और भावनाओं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें।
निष्कर्ष:- एक प्रभावी और समृद्ध शिक्षण परिवेश का सृजन करने के लिए विभिन्न तरीकों और संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। शारीरिक परिवेश, तकनीकी संसाधन, शैक्षिक सामग्री, प्रेरणात्मक वातावरण, सामाजिक और भावनात्मक समर्थन, सहभागिता और संवाद, और सामुदायिक संसाधनों का उचित समन्वय शिक्षण को अधिक प्रभावी और आनंददायक बना सकता है। इससे न केवल विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धियों में सुधार होगा बल्कि उनके समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
6. सहभागिता और संवाद6.1. अभिभावकों की सहभागिताअभिभावक-शिक्षक बैठकें: नियमित रूप से अभिभावक-शिक्षक बैठकें आयोजित करें।अभिभावकों के साथ संवाद: अभिभावकों के साथ नियमित संवाद बनाए रखें और उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त करें।6.2. विद्यार्थियों की सहभागिताविद्यार्थी परिषद: विद्यार्थियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक विद्यार्थी परिषद का गठन करें।विद्यार्थियों की राय: विद्यार्थियों से उनकी राय और सुझाव पूछें और उन्हें शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करें।7. सामुदायिक संसाधन7.1. स्थानीय समुदायस्थानीय विशेषज्ञ: स्थानीय विशेषज्ञों को कक्षा में आमंत्रित करें ताकि वे अपने अनुभव साझा कर सकें।सामुदायिक कार्यक्रम: सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन करें जिससे विद्यार्थियों को व्यावहारिक अनुभव मिल सके।7.2. संसाधन केंद्रलाइब्रेरी और म्यूजियम विजिट्स: विद्यार्थियों को लाइब्रेरी और म्यूजियम विजिट्स पर ले जाएं।शैक्षिक ट्रिप्स: शैक्षिक यात्राओं का आयोजन करें ताकि विद्यार्थी वास्तविक दुनिया में सीख सकें।
ReplyDeleteAfter knowing the individuality of every children ,we ll try to wrk accordingly their individuals difference
ReplyDeleteगणित के उदाहरण देकर अभ्यास को अनुभवों से जोड़ कर सीखना
ReplyDeleteस्वय के अनुभवों का सामान्यीकरण कर सीखना
गीत सुनाकर प्रेरित कर सीखाना
ग़लती करके सीखाना
Alag alag shikshan vidhiyon ka prayog karke
ReplyDeletebachche ki dakshta ko jaankar ki vo kis vidhi se jyada jaldi seekh raha hai tab usi vidhi ko class me apply karke shikshankarya karenge
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteTo teach children with the activity
ReplyDeleteChildren learn by doing
ReplyDeleteWith the help of their level activities and tlm's and by peer learning .
ReplyDeleteok
ReplyDeleteClass me sabhi bachche alag slag Star ke hote hain jinhe sikhane ke liye hume vibhinn prakar ki gatividhiyon, khelon aur ruchikar shayak samagri ka upayog karenge..
ReplyDeleteBaccho ko anek awsar denge apni baat rakhne ki
ReplyDeleteHa pratyek bachche ka alag skill hota hai aise me un par vishesh najar rakhenge
ReplyDeleteVividh gatividhiyon ke madhyam se bachcho ki avashyaktaon ko poora karenge
ReplyDeleteहाँ प्रत्येक बच्चा अपनी क्षमता के अनुसार अलग-अलग तरीको से जल्दी और अच्छा सीखता है
ReplyDeleteLearning by doing
ReplyDeleteLearning by doing and inventing new things
ReplyDeleteLearning by doing very helpful .In which student can learn by doing many activities such as drawing, dancing,music or playing.
ReplyDeleteWe can involve every student to play and it help us in all round development of students.
ReplyDeleteHaan pratyek baccha alag hai aur uske seekhne ka tarika bhi alag hota hai. yeh baccho ka apna ek vishist gun hota hai. baccho ko unke star ke anusaar khel gatiwidhi evum karyavibhajan ke madhyam se kaksha ka sanchalan karne ka prayas Kiya jayega.
ReplyDeletePratyek baccha apni apni अलग-अलग tarike se sikhata hai
ReplyDeletePratyek baccha apni apni ichcha ke anusar अलग-अलग tarike se sikhata hai
ReplyDeleteBhe mukat vatavarn main shikshar ko bachche ke liye ruchi pur banakar bachche ki aavshaktaon ki purti kar sakte hain
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखना समझने की क्षमता अलग-अलग होती है उनकी रुचि अलग होती है उनकी पसंद अलग होती है हम शिक्षा को को यह चीज समझना है समझाना पड़ेगा और हर बच्चे की योग्यताओं की क्षमता उनकी रुचि और उनके पसंद के अनुसार उन्हें सीखना और समझाना पड़ेगा
ReplyDeleteबच्चों को उनकी पसंद और उनकी रुचि के अनुसार सीखना और समझना चाहिए और गतिविधि में शामिल करना चाहिए।
ReplyDeleteEvery child has his own special quality how to learn.
ReplyDeleteबच्चों की रुचि और सिखाने की क्षमता के अनुसार अलग-अलग तरीके व गतिविधि करायेंगे
ReplyDeleteअपनी पसंद की गतिविधियां करके सीखते हैं
ReplyDeleteबच्चे अपने पसंद की गतिविधियों से सीखते हैं
ReplyDeleteअपनी पसंद की गतिविधियों एवं करके सीखते हैं
ReplyDeleteबच्चे अपनी पसंद की गतिविधियां कर के सीखते हैं। आसपास का वातावरण उर लोग भी इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ReplyDeleteबच्चों की दक्षताओं को समझकर उसके उनकी दक्षताओं के अनुसार शिक्षित कर।
ReplyDeletebacho ko unke anusar sikhya jata hai jo bache khel vidhi se bache jaldi sikte hai Aur kuch dekh ke.
ReplyDeleteअलग अलग बच्चो की दक्षता के अनुसार आयु के अनुसार शिक्षण विधियाँ बनाकर।
ReplyDeletePratyek bachcha ek dusare se alag hote hai aur sare bachche kisi n kisi rup me adbhut hote hai. Jo bachcha sikhane me ruchi nhi lete to aisa nhi man lena chahiye ki bachcha sikh nhi sakata hai balki hme apne shikshan vidhiyome parivartan ki jarurat hai rk hi vidhi hr bachcha pr lagu nhi ho sakata hai. Bachcho ke baiyaktik vibhinta ke anusar teacher ko bhi apni shikshan vidhiyo me pariwartan lana padega.
ReplyDeleteChildren learn from their environment or surrounding from what they see and listen .
ReplyDeleteहर बच्चे का मानसिक स्तर अलग-अलग होता है अलग-अलग मानसिक स्तर के बच्चों का हम अलग तरीके से समूह निर्धारण करेंगे और उन बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार उनके शिक्षण कार्य को संपादित करेंगे
ReplyDeletePratyek bacche ki prakriti alag hoti hai uske sikhane ek kshamta bhi alag hoti hai bacche ko uske kshamtaon ke Aadhar per Shiksha Dena behtar hai bacchon Ko unke dakshataon ke anusar vibhinn taknikon kosh Lo Khel ke madhyam se gatividhiyon ke madhyam se AVN jis tarike se Sikh sakta hai shikshit Karen
ReplyDeleteChildren learn by doing
ReplyDelete
ReplyDeleteTo provide them that environment and favourable conditions according to their capabilities
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete