कोर्स 04: गतिविधि 3: अपने विचार साझा करें
इन बिंदुओं पर ध्यानपूर्वक विचार करें - पालक शिक्षक संघ की बैठक कितनी अवधि में की जाती है? अभिभावकों से किस तरह की चर्चा की जाती है? यह कैसे पता लगाएं कि अभिभावक, विद्यालय और शिक्षक-शिक्षिकाओं की किस प्रकार प्रभावी मदद कर सकते हैं। क्या आपने अभिभावकों की चिंताओं तथा उनके निराकरण के उपायों के बारे में सोचा है? इन समस्याओं तथा निराकरण के उपायों के बारे में गंभीरता से चिंतन करके अपने विचार साझा करें।
बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान में समुदाय एवं अभिभावकों की सहभागिता
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान में समुदाय एवं अभिभावकों की सहभागिता
DeleteJroori hai
Deleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान में समुदाय एवं अभिभावकों की सहभागिता
DeleteGood
ReplyDeleteVery Useful,Excellent
Deleteabhibhavak aur shishak dono ki bhagidari mahtwapurn hai
DeleteGood
ReplyDeleteIt's good idea
DeleteIt is very important to involve parents in academic activities
ReplyDeleteYe sbse jruri h ki har PTM m abhibhavak v shikshak purn bhagidari kre
ReplyDeleteVERY GOOD AND RIGHT
ReplyDeletePTM is very important for children because it will solve lots of problems
ReplyDeleteMonthly and bachho ko seekhne me kya madad kar sakte h
ReplyDeleteVery informative and helpful to inhense the FLN activities
ReplyDeleteBachcho ke parents ke sath shekhne par charcha
ReplyDeleteपालक शिक्षक संघ की बैठक में संवाद का एक सशक्त माध्यम है। पालक शिक्षक संघ की बैठक जब को शासन दारा उपलब्ध छात्रों व विद्यालय को दी जाने वाली सुविधाओ से उन्हें अवगत कराया जाता है। वे भी अपना सहयोग देते हैं।
ReplyDeletePTM happen once every month.
ReplyDeleteA teacher also talks to parents if a child is not doing home work in continuity , so we give suggestions and talk to them to provide 1 hrs sitting for student.
If s child is absent more than 3-4 days , then teachers calls.
And if child achieves something so as encourgment teacher calls parents.
A teacher should be motivating and optimistic in every situation.
You are absolutely right ✅️
DeletePTM month me ek bar hoti hai jisme bachho ki pragati Or samasyon Or sujhawon ke bare me charcha ki jati hai
ReplyDeleteनियमित अभिभावक शिक्षक संवाद।
ReplyDeletePTM SMC meeting should be conducted regularly n effectively for making our school students Nipun
ReplyDeleteAbhibhavakon ko bacchon ke padhaai per bhi Sahyog Dena chahie pratyek Din Ka kam Jo Vidyalay se Milta Hai abhibhavak use Vishay ki punaravriti ghar mein karaen
ReplyDeleteP T M Ki baidhak one month me bachcho ki Uplbdhiyo ko sajha karake
ReplyDeleteIt is more important involvement of parents in school activities
ReplyDeletePTM ME ADHIK ABHIBHAVAKON AUR SHIKSHAKON KI BHAGIDARI JAROORI HAI.
ReplyDeleteEvery body should contribute.
ReplyDeleteपीटीएम में सभी अभिभावक और शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित होना चाहिए।
ReplyDeleteपालक शिक्षक संघ (PTA) की बैठकों को नियमित अंतराल पर आयोजित करना आवश्यक है ताकि अभिभावकों और शिक्षकों के बीच एक मजबूत संवाद बना रहे और बच्चों की शिक्षा में सुधार हो सके। इस संदर्भ में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:
ReplyDelete1.बैठकों की अवधि:
●अवधि: PTA बैठकों को त्रैमासिक (तीन महीने में एक बार) आयोजित करना उपयुक्त होता है। विशेष मुद्दों या आवश्यकताओं के लिए अतिरिक्त बैठकें भी आयोजित की जा सकती हैं।
●लंबाई: प्रत्येक बैठक की अवधि लगभग एक से डेढ़ घंटे होनी चाहिए, जिससे सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो सके और समय का सही उपयोग हो।
2.अभिभावकों से चर्चा:
●शैक्षिक प्रगति: बच्चों की शैक्षिक प्रगति, कक्षा में उनके प्रदर्शन, और उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं पर चर्चा करें।●व्यवहार और अनुशासन: बच्चों के व्यवहार और अनुशासन से संबंधित मुद्दों पर बात करें और इन मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम करने के उपायों पर विचार करें।
●अतिरिक्त गतिविधियाँ: पाठ्येतर गतिविधियाँ, खेल, और अन्य सह-शैक्षिक गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करें।
●फीडबैक: अभिभावकों से उनके बच्चों की शिक्षा के बारे में फीडबैक प्राप्त करें और उनकी चिंताओं को समझने का प्रयास करें।
3.अभिभावकों की मदद के तरीके:
●स्वयंसेवा (Volunteer): अभिभावकों को विद्यालय की गतिविधियों में स्वयंसेवा करने के लिए आमंत्रित करें, जैसे कि पुस्तकालय में मदद, फील्ड ट्रिप में सहायता, या स्कूल कार्यक्रमों के आयोजन में योगदान।
●विशेषज्ञता का उपयोग: अभिभावकों की विशेषज्ञता और कौशल का उपयोग करें। यदि किसी अभिभावक के पास विशेष ज्ञान है, जैसे कि कला, संगीत, विज्ञान, या खेल, तो उन्हें इन क्षेत्रों में बच्चों को सिखाने या कार्यशालाएँ आयोजित करने के लिए आमंत्रित करें।●संसाधनों की सहायता: अभिभावकों से आवश्यक शैक्षिक सामग्री, उपकरण, या वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सहयोग करने का अनुरोध करें।
4.अभिभावकों की चिंताओं और उनके निराकरण के उपाय:
●समय पर संवाद: अभिभावकों की चिंताओं को गंभीरता से लें और समय पर उत्तर प्रदान करें। ईमेल, फोन कॉल, या व्यक्तिगत बैठकों के माध्यम से संवाद बनाए रखें।
●समस्याओं का समाधान: समस्याओं को हल करने के लिए एक स्पष्ट कार्य योजना बनाएं। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चा सीखने में कठिनाई का सामना कर रहा है, तो अतिरिक्त ट्यूशन या विशेष शिक्षा संसाधनों की व्यवस्था करें।●कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण: अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा में सहयोग करने के तरीके सिखाने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित करें। उन्हें घर पर बच्चों की पढ़ाई में मदद करने, अनुशासन बनाए रखने, और सकारात्मक व्यवहार प्रोत्साहित करने के तरीकों के बारे में जानकारी दें।
●समूह समर्थन: अभिभावकों के लिए समर्थन समूह बनाएं जहाँ वे एक-दूसरे के अनुभव साझा कर सकें और समस्याओं का समाधान खोज सकें।
5.गंभीरता से चिंतन:
●नियमित समीक्षा: PTA बैठकों में लिए गए निर्णयों और किए गए कार्यों की नियमित समीक्षा करें। यह सुनिश्चित करें कि सभी सुझावों और चिंताओं को ध्यान में रखा गया है और उन पर कार्रवाई की गई है।
●फीडबैक संग्रह: अभिभावकों से लगातार फीडबैक लें और उन्हें सुधार के सुझाव देने के लिए प्रेरित करें। उनके फीडबैक के आधार पर नीतियों और प्रक्रियाओं में आवश्यक सुधार करें।●पारदर्शिता: विद्यालय के निर्णयों और नीतियों में पारदर्शिता बनाए रखें। अभिभावकों को विद्यालय के उद्देश्यों, योजनाओं, और आगामी गतिविधियों के बारे में सूचित रखें।
इन उपायों के माध्यम से, एक सकारात्मक और सहयोगात्मक वातावरण स्थापित किया जा सकता है, जो बच्चों की शिक्षा और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
monthly meeting should be there.
ReplyDeleteशिक्षा में सुधार
ReplyDeleteअभिभावक
ReplyDeleteI m agree with this
ReplyDeleteExcellent
शिक्षक अभिभावक बैठक मासिक होनी चाहिए,साथ ही दोनों पक्षों की भागीदारी हेतु ठोस कार्ययोजना आवश्यकता अनुसार भनाई जाना भी अत्यंत आवश्यक है |
ReplyDeleteAt least once in a month it shud be organised.children from poor background have lack of facilities,means while their parents do not motivate them to study .they focus on their work
ReplyDeleteपीटीएम में सभी अभिभावक और शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित होना चाहिए।
Deleteपालक-शिक्षक संघ (PTA) की बैठक विद्यालय और समुदाय के बीच प्रभावी संवाद और सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। इस बैठक का आयोजन नियमित अंतराल पर किया जाना चाहिए ताकि शिक्षकों, अभिभावकों, और विद्यालय प्रबंधन के बीच निरंतर संवाद बना रहे।
ReplyDelete# PTA बैठकों की अवधि
1. आवृत्ति:- PTA बैठकों को त्रैमासिक (तीन महीने में एक बार) आयोजित करना सबसे अच्छा होता है। इससे विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों और प्रगति पर नियमित चर्चा हो सकती है।
2. अवधि:- प्रत्येक बैठक की अवधि लगभग 1-2 घंटे होनी चाहिए, ताकि सभी महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा की जा सके।
# अभिभावकों से चर्चा के प्रमुख बिंदु
1. विद्यार्थियों की प्रगति:- विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन, उनकी कठिनाइयों और सुधार की संभावनाओं पर चर्चा।
2. शिक्षण विधियाँ:- शिक्षकों द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण विधियों और उनके प्रभाव पर चर्चा।
3. संसाधन और सुविधाएँ:- विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों और सुविधाओं के बारे में जानकारी और उनकी आवश्यकता।
4. अनुशासन और व्यवहार:- विद्यार्थियों के अनुशासन, आचरण और व्यवहार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा।
5. विशेष कार्यक्रम और गतिविधियाँ:- विद्यालय में आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रमों और गतिविधियों के बारे में जानकारी और सहभागिता।
# प्रभावी मदद का पता लगाने के उपाय
1. **प्रश्नावली और सर्वेक्षण**: नियमित रूप से अभिभावकों और शिक्षकों के लिए प्रश्नावली और सर्वेक्षण का आयोजन किया जाए ताकि उनकी राय और सुझाव प्राप्त किए जा सकें।
2. **ओपन हाउस**: ओपन हाउस का आयोजन किया जाए जहां अभिभावक सीधे शिक्षकों और प्रबंधन से मिलकर अपने सुझाव और चिंताएं साझा कर सकें।
3. **फीडबैक बॉक्स**: विद्यालय में फीडबैक बॉक्स रखा जाए जहां अभिभावक अपनी चिंताओं और सुझावों को लिखित रूप में दे सकें।
4. **प्रशिक्षण और कार्यशालाएँ**: अभिभावकों और शिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए जिससे वे अपनी जिम्मेदारियों और योगदान को बेहतर ढंग से समझ सकें।
# अभिभावकों की चिंताओं के निराकरण के उपाय
1. **विद्यार्थियों की प्रगति रिपोर्ट**: नियमित अंतराल पर विद्यार्थियों की प्रगति रिपोर्ट तैयार की जाए और इसे अभिभावकों के साथ साझा किया जाए।
2. **व्यक्तिगत बैठकें**: जिन विद्यार्थियों को विशेष ध्यान की आवश्यकता है, उनके अभिभावकों के साथ व्यक्तिगत बैठकें आयोजित की जाएं।
3. **समय पर सूचना**: अभिभावकों को विद्यालय की महत्वपूर्ण घटनाओं और गतिविधियों की समय पर सूचना दी जाए।
4. **समुदाय की सहभागिता**: विद्यालय और समुदाय के बीच बेहतर सहभागिता सुनिश्चित की जाए ताकि अभिभावक विद्यालय की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हो सकें।
5. **सहयोगी वातावरण**: एक सहयोगी और समर्पित वातावरण का निर्माण किया जाए जहां अभिभावक अपनी चिंताओं को खुलकर साझा कर सकें और उन्हें सुना जा सके।
# गंभीरता से चिंतन करने के विचार
1. **समग्र विकास पर ध्यान**: शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ-साथ विद्यार्थियों के समग्र विकास पर ध्यान दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहे बल्कि विद्यार्थियों को जीवन कौशल भी सिखाए जाएं।
2. **समस्याओं की जड़ तक पहुँचना**: प्रत्येक समस्या की जड़ तक पहुँचने की कोशिश की जाए और उसे समाधान के लिए एक विस्तृत दृष्टिकोण अपनाया जाए।
3. **निरंतर संवाद**: एक निरंतर संवाद सुनिश्चित किया जाए जिससे शिक्षक, अभिभावक और विद्यालय प्रबंधन के बीच समन्वय बना रहे और किसी भी समस्या को समय रहते हल किया जा सके।
4. **समाधान केंद्रित दृष्टिकोण**: समस्याओं को शिकायत के रूप में नहीं बल्कि समाधान के रूप में देखा जाए और उनके निराकरण के लिए एक संगठित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाए।
इस प्रकार, PTA बैठकों के माध्यम से विद्यालय, शिक्षक और अभिभावक मिलकर एक सकारात्मक और सहयोगात्मक वातावरण बना सकते हैं जो विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ईस तरह के बैठकों से हम सभी प्रकार के समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं।
ReplyDeleteVery good ideas
ReplyDeleteशिक्षक अभिभावक बैठक मासिक होनी चाहिए,साथ ही दोनों पक्षों की भागीदारी हेतु ठोस कार्य योजना आवश्यकता अनुसार बनाई जाना भी अत्यंत आवश्यक है |
ReplyDeleteG bilkul shi kha aapne
Deleteशिक्षक अभिभावक बैठक मासिक होनी चाहिए,साथ ही दोनों पक्षों की भागीदारी हेतु ठोस कार्य योजना आवश्यकता अनुसार बनाई जाना भी अत्यंत आवश्यक है
ReplyDeleteAbhibhavak aur Shikshak donon ki bhagidari mahatvpurn
ReplyDeleteSMC meeting me...PTM or Home visit ke jariye bachho ke parents se contact kr bachho ki educational achievement ka pta krte rhege .
ReplyDeleteOne in a week
ReplyDeleteMonthly meeting, friendly
ReplyDeleteMonthly meeting me bachcho ki
ReplyDeleteSakshik sthiti par charcha hone chahiye
Their should be PTM after 3 months . We can discuss about children progress, their CW &HW , about cleanliness and many other pts which are necessary about all around development of a child .
ReplyDeleteachhi jankari
ReplyDeleteSmc meeting prati mah aur ptm prti saptah ayojit krnA chahiye.
ReplyDeletePalak tatha shikshakon ke beech one month me baithak hoti hai tatha bachchon ke adhigam tatha vidyalayon ki samasya par baat ki jati hai
ReplyDeletePtm dwara hum baccho ke kami unke abhibhavak se baat kar k samasya dur kar skte hai
ReplyDeleteBy establishing good communication.
ReplyDeletePalko ka इन्वाल्ब होना बहुत जरूरी है
ReplyDeletePTM tra masik hoti hein.jab Parents teachers ka sahyog kartein hein tab vidyalaya me kisi bhi gatividhi ka aanchal krne me koi samasya nahi hoti or chatron ki upasthiti niyamit rehti or hot chhatron ko nipun lakshya hansil krwane me asani ho jati he
ReplyDeleteबच्चों के समग्र विकास के लिए सामुदायिक सहभागिता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है सामुदायिक सहभागिता को मजबूत करने के लिए शिक्षक को चाहिए कि वह प्रत्येक बच्चे के अधिकारों से औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीके से मुलाकात और बात करें तथा बच्चों की प्रगति को निरंतर अभी भाव को अवगत कारण और उसको सीखने के नियोजन के बारे में भी बताएं कि आपका बच्चा आपकी मदद से कैसे बेहतर सीख सकता है
ReplyDeleteपालक शिक्षक संघ की बैठक में अभिभावकों को छात्राओं को मिलने वाले शान द्वारा सुविधाओं के बारे में अवगत कराना चाहिए
ReplyDeleteसमय समय पर जब भी आवश्यक हो बच्चे के पलकों के साथ बातचीत होती है तो शिक्षा में सुधार जरूर होता है और बच्चे को सीखने में मदद मिलती है।
ReplyDeleteसमय-समय पर आवश्यक हो तो बच्चों के अभिभावकों के साथ बातचीत होती है तो शिक्षा में सुधार जरूरी है
ReplyDeleteBahut zaroori hai
ReplyDeletePalak shikshak baithak monthali hota hai, abhibhavako ke sath sakaratamk pahal kiya jata hai bachcho ki shiksha me gunvattapurn vikash huaa ya nhi yh palak aur shikshak ke bich bachcho ke bare me charcha ke upar vishesh rup se nirbhar karata hai.
ReplyDeleteBachcho ke palak and teacher ki meeting samay samay par jarur honi chahiye isse bachcho ke bare me unke education ke bare mein sahi tarike charcha honi chahiye jisse ki bachcho ki shiksha sahi disha me ho sake
ReplyDeleteParents teacher meeting ek mah mein ek bar ki jaati hai. Paytm shikshakon aur abhibhavakon ke bich samvad ka ek sashakt madhyam hai. Jahan ek aur shikshak bacche ki uplabdhiyon AVN kamjoriyon se माता-पिता ko avgat Karate Hain vahin dusri or ve माता-पिता se bacchon ke Anya aham pahluon ki jankari prapt karte hain aur apne shikshan karya tatha Anya gatividhiyon mein sudhar karte Hain
ReplyDeleteहर तीन माह में आयोजित की जाती है। इसमें शिक्षक के साथ विद्यालय में आ रही चुनौतियों को अभिभावकों के समझ साझा करना उसके निराकरण पर विचार विमर्श करना।
ReplyDeleteTime to time ptm organize kraye jaye
ReplyDeleteParents PTM m apna yogdan kare
ReplyDeleteपालक शिक्षक संघ की बैठक प्रेषित करता है पालक शिक्षक संघ की बैठक माह में एक बार अवश्य होनी चाहिए पा लको को स्कूल की गतिविधियों से और बच्चों की प्रगति की समीक्षा से समय-समय पर अवगत कराते रहना चाहिए सरकार द्वारा किए जा रहे कार्य समाज की उन्नति के लिए गांव के विकास के लिए और स्कूल का चहुमुखी बनाने के लिए एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें पालक शिक्षक संघ एक गंभीर रोल अदा कर सकता है
ReplyDeleteSabhhi student and teacher and parents ko milker Kam karnataka avashvakta hai
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान में समुदाय एवं अभिभावकों की सहभागिता
ReplyDeleteविद्यालय में शिक्षक अभिभावक मिलन निश्चित अंतराल पर होना चाहिए लगभग एक महीने में एक बार हो जानी चाहिए और इसके साथ-साथ अभिभावकों से यह जानना चाहिए कि घर पर बच्चों का स्वभाव कैसा है चिड़चिड़ा है हंसता है खेलता है डरता है यह सब जानने के बाद शिक्षक बच्चों के स्वभाव को अच्छी तरह से जान लेता है और फिर यदि उसे बच्चों के व्यवहार में कोई समस्या है और उसके अध्ययन में कोई रुकावट आ रही है तो वह उसका आसानी से निराकरण कर सकता है
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान में समुदाय और अभिभावकों की सहभागिता।
ReplyDeleteAbhibhavak shikshak sangoshthi mein sabhi abhibhavakon ka upsthit hona sunishchit Ho aur manth mein ek bar avashyak roop se Paytm hona chahie.
ReplyDeleteVery informative and helpful
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