कोर्स 07: गतिविधि 1: अपनी समझ साझा करें

 विश्व बैंक के अनुसार संसार में 37% बच्चे ऐसी भाषा में पढ़ने-लिखने के लिए मजबूर हैं जिसे न वे बोलते हैं, न समझते हैं। आपके विचार से इन बच्चों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा? 

Comments

  1. प्राथमिक कक्षााओं में बहुभाषी शिक्षण

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    1. बच्चे अध्यापक के निर्देश नही समझ सकते हैं l

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  2. Ese bachho ko shiksha ki samaj viksit karne m v sampreshan m lagatar presanio ka samna karna padta h

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  3. यदि बच्चों को उनकी मातृ भाषा मे शिक्षा नही मिलती तो अपक्षित परिणाम नही मिलते व उनका विकास रुक जाता है

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  4. Aise bachho ko pahle second language seekhni padti h jisse ye piche rah sakte h

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  5. बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाई करवाई जानी चाहिए।

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  6. Phle toh woh bacche school aana pasand nhi karege kyuki padhai mei unki ruchi nhi rahegi.. Dusara unko padhai jaani wali chize nhi smj aayegi.. Aur woh siksha ke field mei piche hote jayege

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  7. Bachcho ko unki matrabhash me hi shiksha Kary karaya Jana chahiye

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  8. ऐसे बच्चों को शिक्षा की समझ विकसित करने में व विचारों के सम्प्रेषण में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा।

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  9. मातृभाषा को कक्षा कक्ष में तरजीह ( स्थान) न देना

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  10. बच्चों को भाषा ही समझ नही आयेगी तो अवधारणा , और अधिग म प्राप्ति में काफी दिक्कत आयेगी

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  11. Bacchon ki padhaai Unki matrabhasha Mein honi chahie

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    1. ऐसे बच्चों को शिक्षा की समझ विकसित करने में व विचारों के सम्प्रेषण में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा

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  12. ऐसे विद्यालय जिसमे प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा से प्रारंभ नहीं होती है ऐसे विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें समझ ही नहीं आता कि उन्हें कोई क्या कह रहा है कोई क्या बता रहा है इस तरह से वह हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं और विद्यालय से दूरी बनाने लगते हैं

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    1. बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाई करवाई जानी चाहिए।

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  13. बच्चों को जब ऐसी भाषा मे पढ़ाया जाता है जो वह नही जानता तो उसे कक्षा में बहुत परेशानी होती है। वह बच्चा शांत हो जाता है और जब तक वह कुछ समझने की स्थिति में आता है तब तक उसे और बच्चों के साथ आगे का कोर्स पढ़ाया जाने लगता है जो उसकी समझ से परे हो जाता है और वह बच्चा पिछड़ जाता है।

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  14. ऐसी स्थिति में उनके लिए भाषा को समझ पाना और समझकर उनका उत्तर देने देने में कठिनाई होती होगी। उनको अपना विचार व्यक्त करने में भी कठिनाई महसूस होती होगी।

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  15. यह स्थिति बहुत ही सोचनीय है। शिक्षण कार्य में भाषा एक महत्वपूर्ण पहलू है। जिसके माध्यम से हम बच्चे के अंदर पढ़ाई में रुचि बड़ा सकते है। सीखने सीखने में स्थानीय भाषा का शामिल करना है।

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  16. विश्व बैंक के अनुसार संसार में 37% बच्चे ऐसी भाषा में पढ़ने-लिखने के लिए मजबूर हैं जिसे न वे बोलते हैं, न समझते हैं। ऐसे बच्चों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें निम्नलिखित समस्याएँ प्रमुख हैं:

    1.शैक्षिक समस्याएँ-
    ●समझने में कठिनाई:
    समस्या: बच्चे उस भाषा को नहीं समझते जिसमें उन्हें पढ़ाया जा रहा है, जिससे वे पाठ्य सामग्री को समझ नहीं पाते।
    परिणाम: यह उनकी सीखने की गति को धीमा कर देता है और उनके शैक्षिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है।

    ●कम आत्मविश्वास:
    समस्या: भाषा न समझने के कारण बच्चे आत्मविश्वास खो सकते हैं और कक्षा में सक्रिय रूप से भाग नहीं ले पाते।
    परिणाम: वे प्रश्न पूछने और उत्तर देने से कतराते हैं, जिससे उनकी शिक्षा में सक्रियता कम हो जाती है।

    ●असमान अवसर:
    समस्या: भाषा बाधा के कारण बच्चों को समान शैक्षिक अवसर नहीं मिलते।
    परिणाम: इससे वे अपने साथियों से पिछड़ जाते हैं और आगे की शिक्षा और रोजगार के अवसरों में भी पीछे रह जाते हैं।

    2.सामाजिक और भावनात्मक समस्याएँ-
    ●सामाजिक अलगाव:
    समस्या: भाषा की बाधा के कारण बच्चे अपने सहपाठियों और शिक्षकों के साथ संवाद करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
    परिणाम: वे सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ सकते हैं और उनमें अकेलापन महसूस हो सकता है।

    ●भावनात्मक तनाव:
    समस्या: न समझ पाने की वजह से बच्चे मानसिक तनाव और चिंता का अनुभव कर सकते हैं।
    परिणाम: इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और वे शिक्षा में रुचि खो सकते हैं।

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  17. बच्चे जितनी जल्दी अपनी मातृभाषा में सीखते हैं उतनी जल्दी अन्य भाषाओं को नहीं।लेकिन इसका अर्थ ये कदापि नहीं है कि उनको अन्य भाषाएं नहीं सीखनी हैं। लेकिन शुरुआत में बच्चे को मातृभाषा के साथ साथ अन्य भाषाएं धीरे धीरे सीखनी भी अत्यन्त आवश्यक हैं, क्योंकि जैसे जैसे बच्चा आगे की कक्षाओं में शामिल होगा उसको अन्य भाषा में पारंगत होना चाहिए वरना वह प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाएगा, इसलिए भविष्य को देखते हुए मातृभाषा के साथ साथ अन्य भाषा का भी ज्ञान होना चाहिए व पढ़ाई जानी चाहिए।

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  18. This comment has been removed by the author.

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  19. Ese bachho ko shiksha ki samaj viksit karne m v sampreshan m lagatar presanio ka samna karna padta h

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  20. जिस भाषा में बच्चा अचछे से समझ न् सकें उस भाषा में पढना उनके लिए मजबूरी है एक तरह ज्ञान अर्जन करने की क्षमता के प्रति अन्याय है |इससे उनमें आत्म विश्वास में कमी रह जाती hai

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  21. ऐसे बच्चे ना तो कक्षा में पढ़ाई जा रहे विषय वस्तु को समझ पा रहे होंगे और नहीं चर्चा परिचर्चा भाग ले पा रहे होंगे। जिस कारण उनमें हीन भावना और कुण्ठा बढ़ रही होगी।

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  22. Bacchon ko matrabhasha Mein Hi padhaanaa chahie

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  23. बच्चे को यदि मातृभाषा में नहीं पढाया जाए तो वे समझ ही नहीं पाएंगे। और कक्ष में पिछड़ जायेंगे।

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  24. Bachho ki Matra bhasa
    Ya jo waha ki lak bhasa ho .isse bhi kuch help ho sakti h

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  25. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पाठ्यपुस्तक हिंदी भाषा में होती हैं और हर जगह की बोली अलग अलग होती है जिससे बच्चे हिंदी भाषा को समझने में असहज महसूस करते हैं

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  26. Aise bachcho ko apani baat kahana aur dusaro ki bat samajhane me kathinai hoti hai

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  27. जिस भाषा को बच्चे न समझते हैं और न बोल पाते हैं उसमें पढ़ाई करने से बच्चों की प्रगति रुक जाती है। भविष्य में इस तरह की शिक्षा उनके काम नहीं आती है ।वे शैक्षिक स्तर पर पिछड़ जाते हैं। वे प्रभावी संप्रेषण करने में अक्षम होते हैं। संकोच का अनुभव करते हैं। यह भी हो सकता है कि उन्हें मानसिक तनाव झेलना पड़े। शिक्षा उसी भाषा में देनी चाहिए जो आगे चलकर छात्रों के काम आए। हमारे देश की हर भाषा को बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए।

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  28. Bachcho ko matr bhasha me padhana ati aavashyak h

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  29. बहुभाषी शिक्षक प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त किए जाए।

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  30. Jis bhasha mai bacche samjh paate hai samjha k fir dusre bhasha ki samjh viksit kar skte hai

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  31. yeh bacche apni matrabhasha se dusri bhasha mein aasani se samanvay nhi sthapit kar pate hain , aesi sthiti mein ek kushal shikshak ko unki matrabhasha mein cheezo ko aage badhate hue dusri bhashaon se jodne ka prayas karna chahiye

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  32. प्राथमिक विद्यालय में बहुभाषी शिक्षण होना चाहिए।

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  33. Aise bachcon ki bhasha par pakad kamjoor rehti hain last main drop out ho jate hain

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  34. बच्चे अध्यापक के निर्देश नही समझ सकते हैं l

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  35. Bchhe slow learn krte hn, easily confidence gain ni kr paate aur express ni kr paate.

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  36. Bacche apni Mart bhasha mein acchi tarike se padh aur samajh sakte hain aisi Bhasha Jo unke liye nahin hai bacche sharirik aur mansik roop se Bhasha ko sahaj roop mein nahin lete

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  37. Starts with mother tongue that is understandable to kids make friendly behaviour in classroom

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  38. Bacchon ki unki matra bhasha me shikhana assan hota hei

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  39. ऐसे विद्यालय जिसमे प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा से प्रारंभ नहीं होती है ऐसे विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें समझ ही नहीं आता कि उन्हें कोई क्या कह रहा है कोई क्या बता रहा है इस तरह से वह हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं और विद्यालय से दूरी बनाने लगते हैं

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  40. इस प्रकार के बच्चों को स्कूली भाषा के साथ सामंजस्य करने में कठनाई महसूस करते हैं, इस कारण ये बच्चे स्कूल से वंचित हो जाते हैं।

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  41. It is difficult to find out learning outcomes.

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  42. Bidyalay vasa or matruvasa ko milajula ke bahhon padha ne se un ka sikhne ka bikas asan hota he

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  43. Matrabhasha mein samjhna asaan hai

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  44. मातृभाषा में शिक्षक में होने से बच्चों के अधिगम एवं विकास पर प्रभाव पड़ता है!

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  45. यदि बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा नहीं मिलती है तो अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते और उनका विकास रुक जाता है

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  46. जिस भाषा में बच्चा अचछे से समझ न् सकें उस भाषा में पढना उनके लिए मजबूरी है एक तरह ज्ञान अर्जन करने की क्षमता के प्रति अन्याय है |इससे उनमें आत्म विश्वास में कमी

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  47. बच्चों की बोले जाने वाली भाषा और किताब की भाषा निश्चित रूप से अलग होती है क्योंकि उसकी परिवेश में प्रयोग की जाने वाली भाषा के अधितर शब्द देशज होते है जबकि किताब में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को तोल मोल के रख जाता है।जब बच्चा किताब को पड़ता है तो उसे भाषा का अंतर पता चलता है उसे कठिनाई होती है।

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  48. बच्चे को मातृभाषा में शिक्षा न मिलने से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते और बच्चे का विकास रूक जाता है।

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  49. यदि बच्चों को उनकी मातृ भाषा मे शिक्षा नही मिलती तो अपक्षित परिणाम नही मिलते व उनका विकास रुक जाता है

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  50. बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाई करवानी चाहिए।

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  51. ऐसे बच्चों की भाषा की समझ एवं विचारों की संप्रेषण में कठिनाइयां आती है इसलिए उन्हें उनकी मातृभाषा में शिक्षा देना चाहिए।

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