कोर्स 07: गतिविधि 2: अपने विचार साझा करें

आपकी कक्षा के बच्चे जो भाषा/भाषाएँ दैनिक जीवन में सहज रूप से बोलते-समझते हैं, वह पाठ्यपुस्तकों में लिखी गई भाषा से किस प्रकार अलग है? लगभग 100 शब्दों में अपना उत्तर लिखें और उदाहरण के साथ समझाएँ।

Comments

  1. Kitabo ki bhasa scientific hai aur aam bol chaal ki bhasa hamare area ke upar nirbhar krti hai

    ReplyDelete
  2. Hame kitabo ki bhasha ke sath sath bachcho ki Matra bhasha ka bhi sikhsan me paryog karna chahiye

    ReplyDelete
  3. मेरे विद्यालय में बच्चे दैनिक जीवन में गढवाली व हिन्दी भाषा बोलते हैं। उनकी मातृभाषा गढवाली है। किन्तु वे हिन्दी भी समझते हैं व बोलते हैं। हमारी पाठ्यपुस्तक भी हिन्दी में है। जहां पर उन्हें समझ में न आये वहां पर हम गढवाली भाषा दारा उन शब्दों का अर्थ समझाते है व अंग्रेजी विषय में भी हिन्दी व गढवाली में उन्हें समझाते है बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढाया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  4. बच्चे दैनिक जीवन में मातृभाषा का उपयोग करते हैं जबकि हमारी पाठ पुस्तक हमारी राज्य भाषा में होती है इसलिए मातृभाषा के हिसाब से पुस्तकों का लिखना असंभव सा लगता है क्योंकि भारत में बहुत से भाषाएं हैं। बच्चों को मातृभाषा के सहारे मानक भाषा की ओर बढ़ाया जाता हैउदाहरण _ भोजपुरी अवधी आदि

    ReplyDelete
  5. किताबो की भाषा हिंदी है, मगर बच्चों की भाषा भोजपुरी हैं। जैसे किताब में सिर हैं, मगर बच्चों की भाषा में वो कपार है। ऐसे बहुत से उदाहरण है

    ReplyDelete
  6. Hamare bacchon ki Bhasha Kumauni hai per Jo pathypustakon Mein Bhasha likhi Hai vah kathin hoti hai Ham UN bacchon ko Unki matrabhasha mein translate Karke batate Hain jisse unko samajh mein a Jaaye aur Apna adhyayan Bhali Bhanti kar sake

    ReplyDelete
  7. पाठ्य पुस्तक में हिंदी भाषा का मानक रूप प्रयोग किया गया है जबकि बच्चे प्राय बोलचाल की भाषा में जो बात करते हैं वह यहां की क्षेत्रीय भाषा भोजपुरी या अवधि मिक्स है लोकल डायलेक्ट और पाठ्य पुस्तक की भाषा इस तरह से बिल्कुल ही एक दूसरे से भिन्न है परंतु जब बच्चा घर से विद्यालय के परिवेश में पहुंचता है तो पहले वह मातृभाषा में ही सिखता है और धीरे-धीरे सिखते सिखते वह मानक भाषा को समझने लगता है और फिर बोलने लगता है इस तरह से उसका मातृभाषा के अतिरिक्त मानक भाषा का समझ विकसित हो जाता है

    ReplyDelete
  8. Bachcho ko unki matrabhasha mei chapter ko samjhate h
    Vo asaani se samajh jate h

    ReplyDelete
  9. बच्चों की बोले जाने वाली भाषा और किताब की भाषा निश्चित रूप से अलग होती है क्योंकि उसकी परिवेश में प्रयोग की जाने वाली भाषा के अधितर शब्द देशज होते है जबकि किताब में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को तोल मोल के रख जाता है।जब बच्चा किताब को पड़ता है तो उसे भाषा का अंतर पता चलता है उसे कठिनाई होती है।

    ReplyDelete
  10. पाठ्यपुस्तक और बच्चों की घर की भाषा में बहुत अंतर होता है। पाठ्य पुस्तक में हिन्दी भाषा का प्रयोग है जबकि यहाँ के बच्चे अपनी मात्रभाषा में हल्की, गोंडी, छत्तीसगढ़गढी बोलते है। तो उनको किताबी भाषा समझने में कठिनाई होती है जैसे-वे अपनी माँ को अपनी भाषा में आया बोलते है और किताब की भाषा में माँ को मां ही बोलते है। जिससे उनको कुछ शब्दों को समझने में थोड़ी कठिनाई होती है।

    ReplyDelete
  11. मेरे विद्यालय में बच्चे दैनिक जीवन में कुमाउँनी व हिन्दी भाषा बोलते हैं। उनकी मातृभाषा कुमाउँनी है। किन्तु वे हिन्दी भी समझते हैं व बोलते हैं। हमारी पाठ्य पुस्तक भी हिन्दी में है। जहां पर उन्हें समझ में न आये वहां पर हम कुमाउँनी भाषा द्वारा उन शब्दों का अर्थ समझाते है व अंग्रेजी विषय में भी हिन्दी व कुमाउँनी में उन्हें समझाते है बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढाया जाना चाहिए।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog