कोर्स 12: गतिविधि 3: अपने विचार साझा करें
अपने राज्य/ यू टी से प्रसिद्ध स्वदेशी खिलौनों / अधिगम सामग्री के बारे में सोचें और अपने विचार साझा करें कि आप इनके प्रयोग विभिन्न प्रत्ययों कौशलों के शिक्षण-अधिगम में कैसे कर सकते हैं।
अपने राज्य/ यू टी से प्रसिद्ध स्वदेशी खिलौनों / अधिगम सामग्री के बारे में सोचें और अपने विचार साझा करें कि आप इनके प्रयोग विभिन्न प्रत्ययों कौशलों के शिक्षण-अधिगम में कैसे कर सकते हैं।
बुनियादी स्तर के लिए खिलौना आधारित शिक्षण
ReplyDeleteGood initiative and very helpful for students
Deletevery helpful good.
Deletepaper se bani hui toys is every time available
DeleteGood
ReplyDeleteIt's good and easy to understand, very helpful for children.
ReplyDeleteYes this is good for students
DeleteEffective and helpful
ReplyDeleteछात्रो को बेकार सामान से खेल खेल मे कुछ प्रयोग मे आने वाला सामान बनवाकर उनका आत्मविश्वास बढाने का प्रयास किया जाएगा।
ReplyDeleteBachho ko bekar v useless chijo k khilone bnakr khel khel m shiksha di jaayegi
DeleteBachho ko bekar v useless chijo se khilone bnakr khel khel m shiksha denge
ReplyDeleteगुडडे गुडिया का खेल सबसे अच्छा रहता है।
ReplyDeleteEffective and helpful
ReplyDeleteBacchon ke sarvangini Vikas ke liye khilaune bahut avashyak hote Hain khilaunon se baccha bahut kuchh Sikh jata hai
ReplyDeleteLakdi ke khilone or gudde gudiya math or language seekhne me sahayak hote h
ReplyDeleteHumare yaha mitti s bani goliyo sa chote bache gathit ma achi tarah sa gathit ki gathividhiya karte ha tatha mitti sa fal sabziyo ka chitr banakar fal sabziyo ki chitr banate ha jinse unka gatyatmak vikas hota ha
DeleteHumare yaha mitti s bani goliyo sa chote bache gathit ma achi tarah sa gathit ki gathividhiya karte ha tatha mitti sa fal sabziyo ka chitr banakar fal sabziyo ki chitr banate ha jinse unka gatyatmak vikas hota ha
ReplyDeleteGood information.
ReplyDeleteKhilone ke dagara shikshan karana
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteBekar saman or khilone
ReplyDeleteMitti ke khilone n gudde gudiya
ReplyDeleteToy based teaching is good concept
ReplyDeleteBacchon ko khilaune bahut pasand hote hain खेल-खेल mein bacche khilaunon se Bahut Si shikshaprd baten sikhate Hain
ReplyDeleteमिट्टियों से गोली बनवा कर गिनती द्वारा जोड़ घटाना सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteउत्तराखंड के पारंपरिक खिलौने जैसे मिट्टी के बर्तन मिट्टी से बने हुए खिलौने, वाद्य यंत्र पशु पक्षियों के मुखौंटों के द्वारा बच्चे नाटक के रूप में अपनी अभिव्यक्ति संप्रेषण कौशल का विकास करते हैं
ReplyDeleteKhel se sikhna khillone se sikhana
ReplyDeleteSchool ke raddi kagaj se vibhinn prakar ke phool,janwar,khilaune,phal aadi banaye ja sakte hai Jo bachcho ke mansik vikas me sahayak honge.
ReplyDeleteप्रारंभिक स्तर के बच्चों ke liye खिलौना आधारित शिक्षण hi सबसे उपयुक्त है।
ReplyDeleteबच्चों के साथ अनुपयुक्त पदार्थो से खिलौनों का निर्माण किया जा सकता है। मिट्टी के खिलौनों का भी निर्माण कर बच्चो को सिखाने का अच्छा माध्यम ही सकता है।
ReplyDeleteहमारे राज्य यूपी के गोरखपुर जिले में औरंगाबाद गांव टेराकोटा के लिए प्रसिद्ध है ।जबकि चित्रकूट में लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं। आजमगढ़ में ब्लैक पाॉटरी खिलौने बनाए जाते हैं ।बच्चे गीली मिट्टी से गोलियां बना करके भी खेलते हैं। गुड़िया भी उनका प्रसिद्ध खिलौना है एफ.एल.एन. के जो तीन मुख्य लक्ष्य हैं उनको प्राप्त करने के लिए खेल एक महत्वपूर्ण तरीका है। जिससे बच्चे प्रत्यात्मक ज्ञान और आवश्यक जीवन कौशल सीखने हैं। बच्चे खोज करते हैं और अपनी शब्दावली बनाते हैं। बच्चे कागज के हवाई जहाज, नाव और बहुत सारे कागज के खिलौने बनाते हैं और सीखते हैं। इन्हें कैसे उड़ाया जाए या पानी में तैराया जाय।इसमें उनमें समीक्षात्मक और सृजनात्मक चिंतन पैदा होता है वे खिलौनों के माध्यम से अपनी उत्सुकता और जिज्ञासा प्रकट करते हैं।
ReplyDeleteIt's good and easy to understand, very helpful for children.
ReplyDeleteIt's very easy to understand the concept. It's very helpful for all of us.
ReplyDeleteDelhi ka koi specific toy nahi hai.... lekin clay ka use har vishay me kiya jaa sakta hai...jaise Hindi ki matra banana...khud se banate hai bachche...uska prabhav kafi.
ReplyDeleteachcha padta hai
बढ़िया शाबदार
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश राज्य में कई प्रसिद्ध स्वदेशी खिलौने और अधिगम सामग्री हैं जो बच्चों की शिक्षा और कौशल विकास में उपयोगी हो सकते हैं। इनमें से प्रमुख हैं वाराणसी के लकड़ी के खिलौने और लखनऊ के लकड़ी के पज़ल। इनका उपयोग विभिन्न शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
ReplyDeleteवाराणसी के लकड़ी के खिलौने:-
1. गणितीय कौशल (Mathematical Skills)
●अभ्यास: गिनती, जोड़, घटाव, गुणा और भाग जैसी बुनियादी गणितीय अवधारणाएँ।
●उदाहरण: लकड़ी के गिनती के खिलौनों का उपयोग करके बच्चों को गिनती सिखाना। छोटे छोटे लकड़ी के ब्लॉक्स से जोड़ और घटाव के अभ्यास करना।
2. मोटर स्किल्स (Motor Skills)
●अभ्यास: बच्चों की फाइन मोटर स्किल्स को विकसित करना।
●उदाहरण: छोटे लकड़ी के खिलौनों को जोड़ने और अलग करने की गतिविधियाँ।
3. रचनात्मकता (Creativity)
●अभ्यास: बच्चों को अपनी रचनात्मकता का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना।
●उदाहरण: बच्चों को अलग-अलग आकार और रंग के लकड़ी के खिलौनों का उपयोग करके अपनी खुद की संरचनाएँ बनाने देना।
लखनऊ के लकड़ी के पज़ल:-
1. समस्या-समाधान कौशल (Problem-Solving Skills)
●अभ्यास: बच्चों की समस्या-समाधान और तार्किक सोच क्षमताओं को बढ़ाना।
●उदाहरण: बच्चों को लकड़ी के पज़ल हल करने के लिए देना, जिससे वे समस्या-समाधान के तरीकों पर विचार करें और अपने लक्ष्य तक पहुँचें।
2. अवधारणात्मक कौशल (Conceptual Skills)
●अभ्यास: बच्चों को आकार, रंग और पैटर्न पहचानने की क्षमताओं को विकसित करना।
●उदाहरण: पज़ल के टुकड़ों को सही स्थान पर फिट करने के लिए बच्चों को प्रशिक्षित करना, जिससे वे विभिन्न आकार और रंगों को पहचान सकें।
3. भाषाई कौशल (Language Skills)
●अभ्यास: बच्चों की भाषाई और शब्दावली विकास को प्रोत्साहित करना।
●उदाहरण: पज़ल के टुकड़ों पर चित्र और शब्द लिखे जा सकते हैं, जिससे बच्चे चित्र को पहचान कर उस पर लिखे शब्द को समझ सकें।
काशी की मिट्टी की गुड़िया (Varanasi's Clay Dolls):-
1. संवेदनात्मक विकास (Sensory Development)
●अभ्यास: बच्चों को विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का अनुभव कराना।
●उदाहरण: मिट्टी की गुड़ियाओं को छूने और समझने से बच्चों को विभिन्न बनावट और संवेदनाओं का अनुभव हो सकता है।
2. सांस्कृतिक शिक्षा (Cultural Education)
●अभ्यास: बच्चों को स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराना।
●उदाहरण: मिट्टी की गुड़ियाओं के माध्यम से स्थानीय कहानियाँ और परंपराएँ बताना।
3. रोल-प्ले (Role-Play)
●अभ्यास: बच्चों की कल्पनाशक्ति और सामाजिक कौशलों को विकसित करना।
●उदाहरण: बच्चों को मिट्टी की गुड़ियाओं का उपयोग करके विभिन्न कहानियाँ और नाटक खेलने के लिए प्रेरित करना।
निष्कर्ष-उत्तर प्रदेश के स्वदेशी खिलौनों और अधिगम सामग्री का उपयोग बच्चों की शिक्षा और कौशल विकास में महत्वपूर्ण हो सकता है। इन खिलौनों के माध्यम से बच्चे न केवल बुनियादी गणितीय और भाषाई कौशल सीख सकते हैं, बल्कि उनकी समस्या-समाधान, रचनात्मकता और सांस्कृतिक समझ भी विकसित होती है। शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को अधिक रोचक और प्रभावी बनाने के लिए इन स्वदेशी संसाधनों का उपयोग करना एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
दीपावली के समापन पर इस्तेमाल दीयों का प्रयोग कर तराजू बनाना, दफ्ती के डिब्बे का प्रयोग कर टेलीविजन बनाना जिसमें देश की प्रमुख इमारतें दिखाई जाना |
ReplyDeleteकागज की नाव और हवाई जहाज को बनाकर खिलौनों को चलाने के तरीका और बनाने का तरीका समीक्षात्मकता सृजनात्मक चिंतन पैदा करता है। खिलौनों के माध्यम से उत्सुकता और जिज्ञासा उत्पन्न होती है।
ReplyDeleteपश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड (यूटी) के प्रसिद्ध स्वदेशी खिलौनों और अधिगम सामग्री का प्रयोग करके विभिन्न प्रत्ययों (concepts) और कौशलों (skills) के शिक्षण-अधिगम को समृद्ध और प्रभावी बनाया जा सकता है। इस क्षेत्र के पारंपरिक खिलौने न केवल बच्चों के मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि उनकी रचनात्मकता, मोटर स्किल्स, और शैक्षिक क्षमताओं को भी विकसित करते हैं। यहाँ पर विभिन्न स्वदेशी खिलौनों और अधिगम सामग्री का उपयोग करके शिक्षण-अधिगम के लिए विस्तृत तरीकों का वर्णन किया गया है:
ReplyDelete1. भौतिक और गणितीय कौशल*
1.1.चर्खी (Spinning Tops)*
- गणितीय अवधारणाएँ: गणित की बेसिक अवधारणाओं जैसे गति, दिशा, और संतुलन को समझाने के लिए चर्खी का प्रयोग किया जा सकता है।
- गणितीय गणना*: चर्खी को कितनी देर तक घुमाया जा सकता है, इसे मापने के लिए स्टॉपवॉच का उपयोग कर सकते हैं और इससे समय, गति, और विभाजन जैसे गणितीय गणनाओं का अभ्यास करा सकते हैं।
1.2.लकड़ी के ब्लॉक्स
- आकार और स्थानिक समझ: ब्लॉक्स के माध्यम से विभिन्न आकारों को पहचानना और उनकी तुलना करना।
- ज्यामितीय आकृतियाँ: ब्लॉक्स का उपयोग करके विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों को बनाना और समझना।
- पैटर्न और अनुक्रम: ब्लॉक्स का उपयोग कर पैटर्न और अनुक्रम बनाना और उनका पालन करना।
2.भाषा और साक्षरता कौशल-
2.1.गुड़िया और कठपुतली:
- कहानी सुनाना: गुड़िया और कठपुतलियों का उपयोग करके कहानी सुनाना और बच्चों को उनके पात्रों के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- भूमिका निभाना: बच्चों को विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे उनकी भाषा और संवाद कौशल का विकास हो।
2.2.बिना चित्रों की किताबें (Wooden Puzzle Books)
- शब्दावली विकास: बच्चों को शब्दावली सिखाने के लिए इन पुस्तकों का उपयोग करना।
- पढ़ने का अभ्यास: बच्चों को इन पुस्तकों के माध्यम से पढ़ने का अभ्यास कराना।
3.सामाजिक और भावनात्मक कौशल*
3.1.समूह खेल (Traditional Board Games)
- सहयोग और टीमवर्क**: समूह खेलों के माध्यम से बच्चों को सहयोग और टीमवर्क सिखाना।
- समस्या समाधान**: समूह खेलों के दौरान बच्चों को समस्या समाधान और निर्णय लेने के कौशल का अभ्यास कराना।
3.2.मिट्टी के खिलौने (Clay Toys)
- भावनात्मक अभिव्यक्ति**: बच्चों को मिट्टी के खिलौनों के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- रचनात्मकता**: बच्चों को मिट्टी से अपने खुद के खिलौने बनाने के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे उनकी रचनात्मकता और कल्पना का विकास हो।
4.विज्ञान और पर्यावरण शिक्षा**
4.1.काठ के जानवर (Wooden Animals)**
- प्राकृतिक विज्ञान**: विभिन्न जानवरों के मॉडल का उपयोग करके उनके आवास, आहार, और जीवन चक्र के बारे में सिखाना।
- **पर्यावरण जागरूकता**: बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में बताना और उन्हें अपने चारों ओर के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए प्रेरित करना।
4.2.काठ के वाहन (Wooden Vehicles)**
- भौतिकी की अवधारणाएँ: गति, बल, और घर्षण जैसी भौतिकी की अवधारणाओं को समझाने के लिए काठ के वाहनों का उपयोग करना।
- यातायात नियम**: बच्चों को यातायात नियमों और सुरक्षा के बारे में सिखाना।
5. **मोटर स्किल्स और हाथ की सफाई (Fine Motor Skills)**
5.1. **मनका और धागा (Beads and Thread)**
- **हाथ की सफाई**: मनका और धागे का उपयोग कर विभिन्न डिजाइनों को बनाना, जिससे बच्चों की हाथ की सफाई में सुधार हो।
- **धैर्य और एकाग्रता**: इस गतिविधि से बच्चों का धैर्य और एकाग्रता भी बढ़ती है।
5.2. **लकड़ी की गाड़ी (Pull-Along Toys)**
- **संतुलन और समन्वय**: बच्चों को लकड़ी की गाड़ी खींचने और धकेलने से उनके संतुलन और समन्वय कौशल का विकास होता है।
6. रचनात्मक और कलात्मक कौशल**
निष्कर्ष-
पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के प्रसिद्ध स्वदेशी खिलौनों और अधिगम सामग्री का उपयोग करके विभिन्न प्रत्ययों और कौशलों के शिक्षण-अधिगम को प्रभावी और आनंददायक बनाया जा सकता है। इन पारंपरिक खिलौनों का उपयोग करके न केवल शैक्षिक अवधारणाओं को समझाना आसान हो जाता है, बल्कि बच्चों की रचनात्मकता, मोटर स्किल्स, सामाजिक और भावनात्मक कौशल का भी विकास होता है। इन गतिविधियों को कक्षा में शामिल करने से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया अधिक समृद्ध और विविधतापूर्ण बनती है, जिससे उनकी समग्र शिक्षा में सुधार होता है।
6.1. **मिट्टी और रंग (Clay and Colors)**
ReplyDelete- **कला और शिल्प**: बच्चों को मिट्टी से मूर्तियाँ बनाने और उन्हें रंगने के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे उनकी रचनात्मकता और कलात्मक कौशल का विकास हो।
- **रंगों का ज्ञान**: रंगों का उपयोग कर बच्चों को रंग पहचानना और मिलाना सिखाना।
6.2. **कठपुतली नाटक (Puppet Shows)**
- **नाटक और प्रदर्शन कला**: बच्चों को कठपुतली नाटक में शामिल करना, जिससे उनकी प्रदर्शन कला और आत्मविश्वास का विकास हो।
- **रचनात्मक लेखन**: बच्चों को खुद की कहानियाँ लिखने और उन्हें कठपुतलियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करना।
Use waste things ,make their study funnier
ReplyDeleteपश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड (यूटी) के प्रसिद्ध स्वदेशी खिलौनों और अधिगम सामग्री का प्रयोग करके विभिन्न प्रत्ययों (concepts) और कौशलों (skills) के शिक्षण-अधिगम को समृद्ध और प्रभावी बनाया जा सकता है। इस क्षेत्र के पारंपरिक खिलौने न केवल बच्चों के मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि उनकी रचनात्मकता, मोटर स्किल्स, और शैक्षिक क्षमताओं को भी विकसित करते हैं। यहाँ पर विभिन्न स्वदेशी खिलौनों और अधिगम सामग्री का उपयोग करके शिक्षण-अधिगम के लिए विस्तृत तरीकों का वर्णन किया गया हैl
ReplyDeleteUse of TLM and toys give confidence and joy to the learning. Use of puppets helps in talking about different expressions of the child.
ReplyDeleteछात्रो को बेकार सामान से खेल खेल मे कुछ प्रयोग मे आने वाला सामान बनवाकर उनका आत्मविश्वास बढाने का प्रयास किया
ReplyDeleteबच्चों द्वारा बेकार पड़ी बस्तुयों से खिलौनें बनवाकर, शिक्षण करने से रचनात्मकता में बृद्धि होती है साथ ही स्वदेशी खिलौनों का प्रयोग
ReplyDeleteachhi jankari hai
ReplyDeleteok nice information
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteGood video to teaching children
ReplyDeleteMitti Ke bane Khilone , Building blocks, Number, har khilaune se bachhe kuch na kuch sikhte hain
ReplyDeleteClay toys
ReplyDeleteToys made from useless objects.
Jaise kagaj se nav nav kab aur kaha chalai jati hai
ReplyDeleteजैसा कि हमने मॉड्यूल में देखा कि स्थानीय स्तर पर बनाये जाने वाले खेल खिलोने की सहायता से बच्चों में विभिन्न कौशलों का विकाश कर सकते हैं।
ReplyDelete. Mitty ke bane khilone,bartan fall Main Rangoon ko bharvakar Bachchan main koshalo ko vikasit Kiya ja sakti hain
ReplyDeleteछात्रो को बेकार सामान से खेल खेल मे कुछ प्रयोग मे आने वाला सामान बनवाकर उनका आत्मविश्वास बढाने का प्रयास किया जाएगा।
ReplyDeletebuniyaadi saksharta evum sankhya gyan karyakram hetu khilono par aadharit pathyakram samaveshi hota hai . khilono ke zariye bacche apne aas paas ki tatha samajik sanrachna ki prarambhik jaankari bhi prapt Karte hain. khilono par aadharit shikshan ek sugam vatavaran ke madhyam se baccho ka samagra vikas sunischit karta hai.
ReplyDeleteBachche khel aur khilauno ke dwara chijo ko jaldi sikh lete hai aur parivesiy samano se nirmit khilauno se bachche jaldi parichit ho jate hai jaise mitti ke vibhinn khilaune banaye ja sakate hai jaise mitti ka tarabuj, mitti ke gol gol goliya mahapuruso ki murtiya, chakki, Lakdi ke vibhinn khilaune etyadi sekhilauno ka nirman karke bachcho ko sankhyao ka gyan tatha anay gyan aasani se kraya ja sakata hai.
ReplyDeleteBest out of waste activity
ReplyDeleteKhilono se khelne pr bacchon ke bhasa koshal ka vikas, mashtiksh ka víkas hota he
ReplyDeleteChildren play with blocks and make different shapes
ReplyDeleteNice information good for children
ReplyDeleteEffective and helpful
ReplyDeleteगुड्डे गुड़िया का खेल सबसे अच्छा रहता है
ReplyDeleteइफेक्टिव एंड हेल्पफुल
ReplyDeleteby playing with their native games
ReplyDeleteबच्चे गीली मिट्टी से गोलियां बना करके भी खेलते हैं। गुड़िया भी उनका प्रसिद्ध खिलौना है एफ.एल.एन. के जो तीन मुख्य लक्ष्य हैं उनको प्राप्त करने के लिए खेल एक महत्वपूर्ण तरीका है। जिससे बच्चे प्रत्यात्मक ज्ञान और आवश्यक जीवन कौशल सीखने हैं। बच्चे खोज करते हैं और अपनी शब्दावली बनाते हैं। बच्चे कागज के हवाई जहाज, नाव और बहुत सारे कागज के खिलौने बनाते हैं और सीखते हैं। इन्हें कैसे उड़ाया जाए या पानी में तैराया जाय।इसमें उनमें समीक्षात्मक और सृजनात्मक चिंतन पैदा होता है वे खिलौनों के माध्यम से अपनी उत्सुकता और जिज्ञासा प्रकट करते हैं।
ReplyDeleteKhilaune bacchon Ko sikhane Ka ek saral madhyam hai khilaune bacchon ko hamesha aakarshit karte Hain unhen acche lagte Hain vah utsuk hote Hain ham Apne paryavaran mein upsthit anupayogi chijon se Kai prakar ke khilaune nirmit kar sakte hain aur bacchon ki ismein madad kar sakte hain
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश राज्य के स्वदेशी खिलौने जो बच्चे अक्सर घर में गुड्डे गुड़ियों से खेलते हैं बच्चों से गुड्डे गुड़िया बनवाना सजवाना गांव में बच्चे मिट्टी के घर मिट्टी के खिलौने बहुत शौक से बनाते हैं और विशेष तौर पर त्योहारों में दिवाली के त्यौहार के दिन अपने घर आंगन में मिट्टी के छोटे-छोटे खिलौने और मिट्टी के घर बना कर अपने घरों को सजाते हैं बच्चे ऐसे अनेक प्रकार के कौशलों को अपने मानसिक अभिव्यक्ति से सीखना शुरू कर देते हैं
ReplyDeleteClay ke khilone banana
ReplyDeleteKhilono se prapt gyan sthaie hota hai.
ReplyDeleteBuniyadi aadharit
ReplyDeleteबच्चों के साथ अनुपयुक्त पदार्थो से खिलौनों का निर्माण किया जा सकता है। मिट्टी के खिलौनों का भी निर्माण कर बच्चो को सिखाने का अच्छा माध्यम ही सकता है।
ReplyDeleteखिलौने से बच्चे स्वतंत्र रूप से खेल खेल में सीखते हैं
ReplyDeleteप्रारंभिक स्तर के बच्चों के लिए खिलौना आधारित शिक्षण ही बेहतर है क्योंकि बच्चे खेल खेल में आसानी से सीख सकते हैं।
ReplyDeleteखिलौनों से बच्चे स्वतंत्र रूप से खेल खेल में सीखते हैं।
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