बच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके।बच्चो को खेल के माध्यम से सीखना और ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों को करना बच्चो के सीखने में सहायक है।
3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए हम बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं का आकलन करते हैं। विभिन्न आयउपयुक्त शिक्षा शास्त्रों को नियोजित करते हैं। सीखने के अनुरूप आकलन पद्धति से जांचते हैं। अभिभावक ,समुदाय और व्यवस्था स्तरीय कार्यकर्ता के साथ संपर्क साधते हैं ।यदि बच्चे वास्तविक जीवन से संबंधित अनुभवों के साथ अवधारणाओं को सीख लिए हों ।तराश और जोड़ रहे हों ।गुणक की अवधारणा को समझ रहे हैं। और उसका दैनिक जीवन में उपयोग कर रहे हैं। बच्चे की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति और कहानी कहने की पद्धति का भी प्रयोग किया जा सकता है ।यदि 'रीड टू लर्न' से 'लर्न टू रीड' के तरफ बढ़ रहे हैं अर्थात बुनियादी शिक्षा को ग्रहण कर रहे हैं।
Watch the video film “Khula Aakash” 2014 from the following link: https://www.youtube.com/watch?v=1XjDHOrcJyw and reflect on it. Think about what is ECCE? Why is it important? How does ECCE provide a basis for learning in school and life? Share your reflections.
Visualise the significance of FLN Mission and ponder on what can be the role of ECCE in achieving the goals and objectives of FLN? Share your thoughts.
Watch the video film “Khula Aakash” 2014 from the following link: https://www.youtube.com/watch?v=1XjDHOrcJyw and reflect on it. Think about what is ECCE? Why is it important? How does ECCE provide a basis for learning in school and life? Share your reflections.
बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान हेतु विद्यालय नेतृत्व
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteबच्चों की रुचियां के अनुसार ही हम यह सब कार्य कर सकते हैं
ReplyDeleteBachho se mukt khel v manpasand gatividhiya karwakr
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबच्चों की रुचियां के अनुसार ही हम यह सब कार्य कर सकते हैं
Deleteबच्चों की रुचि व शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति वाली गतिविधि करवाकर
ReplyDeleteबच्चों को रोचक गतिविधियों द्वारा शिक्षण एवं प्रभावी शिक्षण द्वारा ।
ReplyDeleteखेल तथा गतिविधियों द्वारा
ReplyDeletePortfolio bana kar
ReplyDeleteस्वतन्त्र पठन निर्देशन के साथ,
ReplyDeleteसीखने के लिए गतिविधियों को अधिक से अधिक शामिल करना।
We will teach them according to interest of child like with games, stories, play way more and make them learn by doing things.
ReplyDeleteस्वयं करके सीखने से बच्चें ज्यादा अच्छा सीखते हैं। इस प्रकार प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
ReplyDeleteWe should watch and observe children activities and provide them suitable environment to play and learn.
ReplyDeleteGatividhi adharit shikshan ke dvara sikhana
ReplyDeleteIt is a challenging task to understand what will be the best way to teach kids. The requirement of every child is different. This has to be identified
ReplyDeleteBachcho ke Ruchi anusar karya karvake
ReplyDeleteबच्चों को केन्द्र बनाकर उनके रूचियों के अनुसार ही हम कार्य कर सकते है।
ReplyDeleteBachcho ki Ruchi anusar gatividhiyo
ReplyDeleteDuvara kary kar sakte h
Khel dwara gatividhi krakr or bhaymukt vatavaran dekr
ReplyDeleteKhel khel m sikhne ki prakriya ko apnaakar
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके।
ReplyDeleteखेल खेल में सीखाने से बच्चों का विकास तेजी से होगा
ReplyDeleteKhel khel mai sikhne mai bachche maje lekar sikhenge
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके।बच्चो को खेल के माध्यम से सीखना और ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों को करना बच्चो के सीखने में सहायक है।
ReplyDelete3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए हम बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं का आकलन करते हैं। विभिन्न आयउपयुक्त शिक्षा शास्त्रों को नियोजित करते हैं। सीखने के अनुरूप आकलन पद्धति से जांचते हैं। अभिभावक ,समुदाय और व्यवस्था स्तरीय कार्यकर्ता के साथ संपर्क साधते हैं ।यदि बच्चे वास्तविक जीवन से संबंधित अनुभवों के साथ अवधारणाओं को सीख लिए हों ।तराश और जोड़ रहे हों ।गुणक की अवधारणा को समझ रहे हैं। और उसका दैनिक जीवन में उपयोग कर रहे हैं। बच्चे की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति और कहानी कहने की पद्धति का भी प्रयोग किया जा सकता है ।यदि 'रीड टू लर्न' से 'लर्न टू रीड' के तरफ बढ़ रहे हैं अर्थात बुनियादी शिक्षा को ग्रहण कर रहे हैं।
ReplyDelete