बच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके।बच्चो को खेल के माध्यम से सीखना और ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों को करना बच्चो के सीखने में सहायक है।
3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए हम बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं का आकलन करते हैं। विभिन्न आयउपयुक्त शिक्षा शास्त्रों को नियोजित करते हैं। सीखने के अनुरूप आकलन पद्धति से जांचते हैं। अभिभावक ,समुदाय और व्यवस्था स्तरीय कार्यकर्ता के साथ संपर्क साधते हैं ।यदि बच्चे वास्तविक जीवन से संबंधित अनुभवों के साथ अवधारणाओं को सीख लिए हों ।तराश और जोड़ रहे हों ।गुणक की अवधारणा को समझ रहे हैं। और उसका दैनिक जीवन में उपयोग कर रहे हैं। बच्चे की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति और कहानी कहने की पद्धति का भी प्रयोग किया जा सकता है ।यदि 'रीड टू लर्न' से 'लर्न टू रीड' के तरफ बढ़ रहे हैं अर्थात बुनियादी शिक्षा को ग्रहण कर रहे हैं।
3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
हुम् इसके लिय विबभीन गतिविधियों कि योजना तैयार करेंगे।समुदाय और पलकों को fln के लक्ष्यों से अवगत कराया जाएगा।शल्क में fln के लक्ष्यों को प्राप्त कर सके इस प्रकार का वातावरण तैयार किया जाएगा।
आयु वर्ग 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियां को सुनिश्चित करने के लिए बच्चों को भय मुक्त, प्रिंट रिच ,खेल युक्त ,सहयोगात्मक वातावरण प्रदान करना और हितधारकों को उनके सुविधा अनुसार गतिविधि में शामिल करके उनकी उपलब्धियां को सुनिश्चित कर सकते हैंl
309 varsh ke bacche Jin khelo AVN gatividhiyon ke madhyam se achcha sikhate Hain. Bacchon ko prarambhik aayu varshon mein sankhya Gyan AVN buniyadi saksharta Kaushal acchi prakar se a Jana chahie. Atah hamen bacchon ko unki ruchiyon ke anusar Shiksha pradan karne chahie vibhinn khelon ke madhyam se unhen sikhana chahie.
3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
बच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके। बच्चों को खेल के माध्यम से सीखना और ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों को करना बच्चों के सीखने में सहायक है।
Watch the video film “Khula Aakash” 2014 from the following link: https://www.youtube.com/watch?v=1XjDHOrcJyw and reflect on it. Think about what is ECCE? Why is it important? How does ECCE provide a basis for learning in school and life? Share your reflections.
Visualise the significance of FLN Mission and ponder on what can be the role of ECCE in achieving the goals and objectives of FLN? Share your thoughts.
निम्न लिंक से 'खुला आकाश' 2004 वीडियो फिल्म देखें और इस पर अपने विचार साझा करें : https://www.youtube.com/watch?v=1XjDHOrcJyw ईसीसीई के बारे में सोचें? क्या यह आवश्यक है? ईसीसीई कैसे स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है? अपनी समझ साझा करें ।
बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान हेतु विद्यालय नेतृत्व
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteबच्चों की रुचियां के अनुसार ही हम यह सब कार्य कर सकते हैं
ReplyDeleteBachho se mukt khel v manpasand gatividhiya karwakr
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबच्चों की रुचियां के अनुसार ही हम यह सब कार्य कर सकते हैं
Deleteबच्चों की रुचि व शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति वाली गतिविधि करवाकर
ReplyDeleteबच्चों को रोचक गतिविधियों द्वारा शिक्षण एवं प्रभावी शिक्षण द्वारा ।
ReplyDeleteखेल तथा गतिविधियों द्वारा
ReplyDeletePortfolio bana kar
ReplyDeleteस्वतन्त्र पठन निर्देशन के साथ,
ReplyDeleteसीखने के लिए गतिविधियों को अधिक से अधिक शामिल करना।
We will teach them according to interest of child like with games, stories, play way more and make them learn by doing things.
ReplyDeleteस्वयं करके सीखने से बच्चें ज्यादा अच्छा सीखते हैं। इस प्रकार प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
ReplyDeleteWe should watch and observe children activities and provide them suitable environment to play and learn.
ReplyDeleteGatividhi adharit shikshan ke dvara sikhana
ReplyDeleteIt is a challenging task to understand what will be the best way to teach kids. The requirement of every child is different. This has to be identified
ReplyDeleteBachcho ke Ruchi anusar karya karvake
ReplyDeleteबच्चों को केन्द्र बनाकर उनके रूचियों के अनुसार ही हम कार्य कर सकते है।
ReplyDeleteBachcho ki Ruchi anusar gatividhiyo
ReplyDeleteDuvara kary kar sakte h
Khel dwara gatividhi krakr or bhaymukt vatavaran dekr
ReplyDeleteKhel khel m sikhne ki prakriya ko apnaakar
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके।
ReplyDeleteखेल खेल में सीखाने से बच्चों का विकास तेजी से होगा
ReplyDeleteKhel khel mai sikhne mai bachche maje lekar sikhenge
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके।बच्चो को खेल के माध्यम से सीखना और ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों को करना बच्चो के सीखने में सहायक है।
ReplyDelete3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए हम बच्चों की विकासात्मक आवश्यकताओं का आकलन करते हैं। विभिन्न आयउपयुक्त शिक्षा शास्त्रों को नियोजित करते हैं। सीखने के अनुरूप आकलन पद्धति से जांचते हैं। अभिभावक ,समुदाय और व्यवस्था स्तरीय कार्यकर्ता के साथ संपर्क साधते हैं ।यदि बच्चे वास्तविक जीवन से संबंधित अनुभवों के साथ अवधारणाओं को सीख लिए हों ।तराश और जोड़ रहे हों ।गुणक की अवधारणा को समझ रहे हैं। और उसका दैनिक जीवन में उपयोग कर रहे हैं। बच्चे की उपलब्धियों को सुनिश्चित करने के लिए खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति और कहानी कहने की पद्धति का भी प्रयोग किया जा सकता है ।यदि 'रीड टू लर्न' से 'लर्न टू रीड' के तरफ बढ़ रहे हैं अर्थात बुनियादी शिक्षा को ग्रहण कर रहे हैं।
ReplyDeletekhel dvara, kahaniyon dvara, reading karke bhav bata saken
ReplyDeleteBy learning by doing
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteबच्चों की रुचियां के अनुसार ही हम यह सब कार्य कर सकते हैं
ReplyDeletemake the child as the centre and do activities according to the taste of child.
ReplyDeletethe guardian can do with the child if the interests of the child is cared for.
Deleteस्वतन्त्र पठन निर्देशन के साथ,
ReplyDeleteसीखने के लिए गतिविधियों को अधिक से अधिक शामिल करना।
स्वयं करके सीखने से बच्चें ज्यादा अच्छा सीखते हैं। इस प्रकार प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी मातृभाषा में उनके रुचियों को ध्यान में रखकर खेलों द्वारा स्वतंत्र रुप से गतिविधि पूर्वक शिक्षा देना ।
ReplyDeleteकरके सीखने (बच्चे स्वयं करें)और समूह कार्य के द्वारा
ReplyDelete3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
DeleteKhel adharit gatividhiyon ke dwara
ReplyDeleteBacho ko hamesha protsahit karte rahana chahiye, abhibhavak ko monthali abhibhavak mitting mebulakrke bacha ke hr vikasatmak pahalu pr bat krte rahana chahiye .
ReplyDeleteBy activity &effective teaching
ReplyDeleteहुम् इसके लिय विबभीन गतिविधियों कि योजना तैयार करेंगे।समुदाय और पलकों को fln के लक्ष्यों से अवगत कराया जाएगा।शल्क में fln के लक्ष्यों को प्राप्त कर सके इस प्रकार का वातावरण तैयार किया जाएगा।
ReplyDeleteSarkar dwara banaye gaye karyakramo ke anusaar baccha 3-6 varsh tak poorva prathmik kaksha jaise aanganwadi evum baalwadi ke madhyam se seekhte huye apne ko kaksha 1 mein pravesh hetu shudran payega . Shikshako ko bhi bacche ki aage ki umra 6 se 9 varsh ke dauran prathmik kakshaon 1 se 3 mein sikhane hetu uchit parivesh evum sansaadhano ke alok mein sahayta milegi jisse baccha seekhne ki or unmukh hoga.
ReplyDeleteबच्चों की रुचि व शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति वाली गतिविधि करवाकर
ReplyDeleteBachcho ko khel se hi buniyadi Shiksha upalabdh karake...usi aadhar par aklan karke
ReplyDelete3-9 ke bacchon ko khel khel me shikhaya jata hei
ReplyDeleteआयु वर्ग 3 से 9 वर्ष तक के बच्चों के सीखने की क्षमता की उपलब्धियां को सुनिश्चित करने के लिए बच्चों को भय मुक्त, प्रिंट रिच ,खेल युक्त ,सहयोगात्मक वातावरण प्रदान करना और हितधारकों को उनके सुविधा अनुसार गतिविधि में शामिल करके उनकी उपलब्धियां को सुनिश्चित कर सकते हैंl
ReplyDeleteतीन से नौ वर्ष का बच्चा यदि आपकी बात समझ ले रहा है आपके दिए हुए कार्य को समय पर पूर्ण कर रहा है तो तोबच्चा पूरी तरह से अपनी दिशा की ओर आगे बढ़ रहा है
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ReplyDeleteबच्चों को खेल एवं गतिविधियों के माध्यम से रचनात्मक शिक्षक कराना!
ReplyDelete309 varsh ke bacche Jin khelo AVN gatividhiyon ke madhyam se achcha sikhate Hain. Bacchon ko prarambhik aayu varshon mein sankhya Gyan AVN buniyadi saksharta Kaushal acchi prakar se a Jana chahie. Atah hamen bacchon ko unki ruchiyon ke anusar Shiksha pradan karne chahie vibhinn khelon ke madhyam se unhen sikhana chahie.
ReplyDeleteबच्चों की रुचि व शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति वाली गतिविधि करवाकर|
ReplyDelete3 से 6 वर्ष तक बच्चों को विभिन्न खेलों,खिलौने और गतिविधियों के माध्यम से सीखने की जरूरत होती है। और फिर 6 से 9 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा तीन तक बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत बुनियादी साक्षरता में भाषा को प्रवाह के साथ पढ़ना शब्दों और वाक्यों को लिखना और संख्या ज्ञान हेतु बच्चों को अंक ज्ञान गिनती और गणित की मूलभूत संक्रियाएं जोड़ घटाना छोटे गुणा और भाग करने की जानकारी होनी चाहिए।
ReplyDeleteस्वयं करके सीखने से बच्चें ज्यादा अच्छा सीखते हैं। इस प्रकार प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
ReplyDeleteबच्चों की रुचि और गतिविधियों के द्वारा हम यह कार्य कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों की शिक्षा उनकी मातृभाषा में उपलब्ध कराकर एवं उनके रुचियों को ध्यान में रखते हुए खेलों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करके। बच्चों को खेल के माध्यम से सीखना और ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों को करना बच्चों के सीखने में सहायक है।
ReplyDeleteby promoting activities,play,mind body coordination game along with supportive environment to enhance commucation.
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